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रियल एस्टेट दिवाला मामलों में आईबीसी की शानदार सफलता, 46% मामलों का सफल समाधान

आईबीबीआई के चेयरपर्सन रवि मित्तल ने कहा, ‘परिसमापन वाली कंपनियों की तुलना में बचाई गई कंपनियां करीब 2.5 गुना हैं।

Last Updated- August 14, 2024 | 9:46 PM IST
रियल एस्टेट दिवाला मामलों में आईबीसी की शानदार सफलता, 46% मामलों का सफल समाधान Rescued firms 2.5 times those liquidated in realty sector, shows IBBI data

रियल स्टेट क्षेत्र से जुड़े मामलों के समाधान में ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता (आईबीसी) का रिकॉर्ड बेहतर रहा है। भारतीय ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवाला बोर्ड (आईबीबीआई) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 24 जून, 2024 तक रियल एस्टेट के कुल दाखिल मामलों में से 46 फीसदी का सफल समाधान हुआ है।

रियल एस्टेट क्षेत्र और कंस्ट्रक्शन कंपनियों की ओर से दिवाला के कुल 1,400 मामले दाखिल किए गए थे, इनमें से अब तक 645 कंपनियों को बचा लिया गया है, जबकि 261 कंपनियों का परिसमापन किया गया है, यानी उन्हें बंद कर दिया गया।

अप्रैल-जून के न्यूजलेटर में आईबीबीआई के चेयरपर्सन रवि मित्तल ने कहा, ‘परिसमापन वाली कंपनियों की तुलना में बचाई गई कंपनियां करीब 2.5 गुना हैं। दिवाला समाधान के लिए संरचित ढांचा, मकान के खरीदारों को ताकतवर बनाकर और समयबद्ध प्रक्रिया सुनिश्चित करके आईबीसी ने सभी हिस्सेदारों को उम्मीद की किरण दिखाई और उनका भरोसा जगाया।’

आर्थिक समीक्षा 2023-24 में कहा गया था कि रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए 3 उपलब्ध समाधानों में से आईबीसी सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला तरीका था। इसके अलावा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 और रियल एस्टेट नियमन और विकास अधिनियम 2016 का विकल्प था।

आईबीबीआई के मुताबिक बड़े आकार वाले रियल एस्टेट के मामले जैसे जेपी इन्फ्राटेक, कोहिनूर सीटीएनएल इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी, सारे गुरुग्राम की रिकवरी, दाखिल दावों के 60 फीसदी से ज्यादा रही है। कुल मिलाकर जून 2024 तक कंपनी दिवाला समाधान प्रक्रिया के तहत कर्जदाताओं को 3.4 लाख करोड़ रुपये समाधान योजना से मिले हैं, जो कुल दाखिल दावों की तुलना में 32 फीसदी रिकवरी है।

आईबीसी विशेषज्ञों का मानना है कि रियल एस्टेट दिवाला मामलों में परिसमापन की तुलना में समाधान अधिक होने की सकारात्मक धारणा के बावजूद कई चुनौतियां बनी हुई हैं। उनका मानना है कि समाधान प्रक्रिया अभी लंबी बनी हुई है, जिसमें प्रायः हिस्सेदारों की जटिलता, संपत्ति मूल्यांकन विवादों और नियाकीय कठिनाइयों के कारण देरी होती है।

किंग स्टब ऐंड कासिवा, एडवोकेट्स ऐंड अटार्नीज में एसोसिएट पार्टनर गौरी जगदीप ने कहा, ‘दिवाला पेशेवरों में इसे लेकर विशेषज्ञता वाली जानकारी का अभाव और मकान के खरीदारों के हितों की व्यापक रक्षा की जरूरत जैसे मसले अभी जटिल बने हुए हैं। ये मसले रियल एस्टेट क्षेत्र में समय पर और प्रभावी समाधान सुनिश्चित करने के लिए आईबीसी ढांचे के निरंतर परिशोधन और हितधारकों के बीच बेहतर तालमेल की जरूरत को उजागर करते हैं।’

मल्टिपल प्रोजेक्ट सहित रियल एस्टेट दिवाला प्रक्रिया की कुछ खास चुनौतियों और बड़ी संख्या में मकान खरीदारों को देखते हुए इस क्षेत्र की विशिष्ट जरूरतें पूरी करने के लिए पिछले कुछ वर्षों में कई कदम उठाए गए हैं।

इनमें मकान के खरीदार को वित्तीय ऋणदाता का दर्जा दिया जाना, पहले से कब्जे में जा चुकी इकाइयों को परिसमापन प्रक्रिया से बाहर रखना, परियोजनावार दिवाला समाधान को अनुमति और मकान के खरीदार को समाधान आवेदक के रूप में अनुमति देना शामिल है।

आईबीबीआई के प्रमुख ने कहा कि रियल एस्टेट के बड़े मामलों में आईबीसी की सफलता की राह में चुनौतियों के बावजूद इस सेक्टर में सकारात्मक बदलाव को लेकर इसकी क्षमता का पता चलता है।

First Published - August 14, 2024 | 9:46 PM IST

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