भारतीय दिवाला एवं शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) ने ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) के लिए नए दिशानिर्देश पेश किए हैं। इससे प्रक्रियाओं में होने वाली देरी को रोकने में मदद मिलेगी और प्रक्रिया में और अधिक पारदर्शिता आएगी।
स्व-नियामक दिशानिर्देशों में सीओसी को फैसला लेने के दौरान ईमानदारी, गोपनीयता और निष्पक्षता बरकरार रखने और किसी भी प्रकार के हितों के टकराव का खुलासा करना होगा। नए दिशानिर्देशों के मुताबिक, पेशेवर क्षमता सुनिश्चित करने के लिए सीओसी को दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता के प्रावधानों, नियमों की पूरी जानकारी रखनी होगी।
मूल्य प्राप्ति में सुधार के लिए आईबीबीआई दिशानिर्देशों में कहा गया है कि सीओसी को ऋणशोधन अक्षमता पेशेवर द्वारा मार्केटिंग रणनीति तैयार करने में पूरा योगदान देना चाहिए और कॉरपोरेट देनदार की परिसंपत्तियों की मार्केटिंग के लिए भी उपाय करने चाहिए।
आईबीबीआई ने कहा है कि ऋणदाताओं की समिति को मुकदमेबाजी से बचने के लिए सदस्यों के किसी भी प्रकार के विवाद, खासकर दावों से संबंधित, बातचीत अथवा अन्य गैर रंजिश के तरीकों से हल करने का हरसंभव प्रयास करना चाहिए।
शार्दुल अमरचंद मंगलदास ऐंड कंपनी की पार्टनर मीशा ने कहा, ‘ऐसे दिशानिर्देश लाने की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि सीओसी के सदस्य निष्पक्ष, सुसंगत और व्यावसायिक निर्णयों के बजाय मामलों के आधार पर अदूरदर्शी फैसले ले रहे थे ताकि उनके संस्थानों को लाभ पहुंचे।’