रियल एस्टेट में मंदी की बातें जोर पकड़ने के साथ ही उस क्षेत्र से जुड़ी तमाम कंपनियां कहीं और हाथ मारने की योजना बनाने लगी हैं।
कई बड़ी कंपनियों ने पिछले दिनों होटल खोलने का ऐलान किया है, तो नामी रियल एस्टेट कंपनी हीरानंदानी कंस्ट्रक्शंस को अस्पताल में निवेश की सूझने लगी है। कंपनी जल्द ही देश भर में अस्पतालों की शृंखला खोलने जा रही है।
होगा तगड़ा निवेश
अरबपति निरंजन हीरानंदानी द्वारा प्रवर्तित इस कंपनी ने इन परियोजनाओं में 500 करोड़ रुपये के निवेश की योजना बनाई है। इसके तहत कुछ वर्षों में कई अस्पताल खोले जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक कंपनी का मकसद देश में हेल्थकेयर के क्षेत्र में बड़े मुकाम तक पहुंचना है।
कंपनी फिलहाल चेन्नई, पुणे, नासिक, पनवेल और कोलकाता समेत कई शहरों में विकसित हो रही नई आवासीय योजनाओं में अस्पताल खोलेगी। हरेक अस्पताल में 100 से ज्यादा शैया होंगी और उन्हें हीरानंदानी हॉस्पिटल्स का नाम दिया जाएगा।
निगाह कॉरपोरेट पर
बाजार के जानकारों का कहना है कि हीरानंदानी वॉकहार्ट, अपोलो और फॉर्टिस की तर्ज पर काम करने जा रही है। इन सभी कंपनियों की कॉरपोरेट अस्पतालों की शृंखलाएं हैं। लेकिन कंपनी के प्रबंध निदेशक निरंजन हीरानंदानी का कहना है कि अभी इस बारे में कुछ भी तय नहीं किया गया है।
हो सकता है कि ये कॉरपोरेट अस्पताल हों और यह भी हो सकता है कि गरीब जनता के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं वाले चैरिटेबल अस्पताल खोले जाएं। लेकिन अगले पांच साल में कंपनी उन टाउनशिप में 5 अस्पताल खोलेगी, जिन्हें वह फिलहाल विकसित कर रही है।
अपोलो सबसे आगे
हेल्थकेयर के क्षेत्र में फिलहाल हैदराबाद की अपोलो हॉस्पिटल्स एशिया की सबसे बड़ी निजी कंपनी है। उसके 41 से भी ज्यादा अस्पताल हैं। फॉर्टिस हेल्थकेयर के उत्तर भारत में 13 अस्पताल हैं और 2010 तक देश भर में 40 से ज्यादा अस्पताल खोलने की उसकी योजना है। इसी तरह वॉकहार्ट हॉस्पिटल्स के मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, कोलकाता, नागपुर, सूरत और राजकोट में 12 अस्पताल हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में वह और भी अस्पताल खोल रही है।
हीरानंदानी इन कंपनियों को टक्कर देने के लिए अपने मौजूदा अस्पताल को भी बेहतर बना रही है। मुंबई के पवई इलाके में कंपनी के अस्पताल का विस्तार किया जा रहा है। मौजूदा 135 शैया की उसकी क्षमता को 230 शैया से ज्यादा किया जा रहा है। सूत्रों की मानें, तो इसमें 75 से 100 करोड़ रुपये तक का निवेश किया जा रहा है।
आंतरिक संसाधनों से धन
हीरानंदानी ने बताया कि कंपनी इन अस्पतालों की स्थापना के लिए आंतरिक संसाधनों से ही धन जुटाएगी। यदि बाद में कंपनी की योजना बदलती और इन्हें कॉरपोरेट अस्पतालों में तब्दील किया जाता है, तो पूंजी बाजार की मदद भी ली जा सकती है।