लॉकडाउन और धातु कीमतों में नरमी के बावजूद मार्च तिमाही अथवा चौथी तिमाही के दौरान हिंडाल्को के भारतीय कारोबार का दमदार प्रदर्शन एक सुखद आश्चर्य था। एल्युमीनियम और तांबे का उत्पादन करने वाली वैश्विक कंपनी हिंडाल्को के प्रदर्शन को उम्मीद से बेहतर बिक्री एवं लागत कुशलता से बल मिला। इससे कंपनी को घरेलू लाभप्रदता को बेहतर करने में मदद मिली।
कम लागत की अपेक्षाओं से कंपनी के परिदृश्य को सहारा मिला जबकि वैश्विक बाजार में धातु कीमतों में नरमी (चीन में आर्थिक सुधार के कारण) से भी हिंडाल्को के भारतीय परिचालन को फायदा हुआ। समेकित स्तर पर हिंडाल्को को उसकी अमेरिकी इकाई नोवेलिस से भी मदद मिली जो उसके परिचालन मुनाफे में उल्लेखनीय योगदान करती है। कंपनी के एबिटा में नोवेलिस का योगदान करीब 64 फीसदी है। चौथी तिमाही के दौरान कंपनी के प्रति टन समायोजित एबिटा में एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 15 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई और वह 472 डॉलर रहा।
नोवेलिस कच्चे एल्युमीनियम को मूल्यवद्र्धि उत्पादों बदलती है और इसलिए बेस मेटल कीमतों में उतार-चढ़ाव से वह अधिक प्रभावित नहीं होती है। इसलिए भारतीय परिचालन को लेकर चिंताएं काफी अधिक थीं। एकल कारोबार (अथवा भारतीय कारोबार) के आधार पर विश्लेषकों ने आशंका जताई थी कि धातु कीमतों में नरमी और लॉकडाउन का हिंडाल्को की लाभप्रदता पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ेगा। लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) पर एल्युमीनियम का औसत मूल्य 1,694 डॉलर प्रति टन रहा जो पिछली तिमाही के मुकाबले 3 फीसदी कम है और एक साल पहले की समान तिमाही के 1,859 डॉलर प्रति टन के मुकाबले काफी कम है। तांबे के मूल्य में भी सालाना आधार पर 9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है और कैलेंडर वर्ष में बेंचमार्क उपचार एवं रिफाइनिंग शुल्क (टीसी/आरसी) 15.9 सेंट प्रति पाउंड रहा जो कैलेंडर वर्ष 2019 के मुकाबले 23 फीसदी कम है।
हालांकि उम्मीद से बेहतर वॉल्यूम और लागत घटाने के उपायों से कंपनी को दमदार परिचालन प्रदर्शन दर्ज करने में मदद मिली। विश्व की सबसे सस्ती एल्युमिना उत्पादक उत्कल एल्युमिना ने 4,41,000 टन उत्पादन किया जो अब तक का सर्वाधिक तिमाही उत्पादन है। वह लगातार कम लागत पर उत्पादन कर रही है। मुरी एल्युमिना के सफल पुनरुद्धार और क्षमता विस्तार से हिंडाल्को की एकीकृत मूल्य शृंखला को और मजबूती मिल सकती है।
चौथी तिमाही के दौरान एल्युमीनियम श्रेणी में कंपनी का परिचालन मुनाफा (अथवा एबिटा) पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 3 फीसदी बढ़कर 1,039 करोड़ रुपये हो गया। जबकि एल्युमीनियम श्रेणी में प्रति टन एबिटा 457 डॉलर रहा जो अनुमानित लागत से कम है। विश्लेषकों ने कहा कि कोयले की बेहतर उपलब्धता और कंपनी के अपने खदानों से अधिक योगदान के अलावा अधिक एल्युमीनियम प्रीमियम से कंपनी के प्रदर्शन को बल मिला।
