अगर अमेरिका एच-1बी वीजा नियमों में सख्ती को लागू करता है तो अमेरिका की दो दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनियों पर उसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इसके अलावा भारत की तीन आईटी कंपनियों- इन्फोसिस, टीसीएस और एचसीएल- पर उसका प्रभाव अन्य देसी आईटी कंपनियों के मुकाबले अधिक पड़ेगा। विप्रो, टेक महिंद्रा, एलऐंडटी टेक, एलटीआई माइंडट्री और हेक्सावेयर टेक्नोलॉजिज जैसी कंपनियों की अमेरिकी सरकार द्वारा इस अस्थायी वीजा पर निर्भरता काफी कम है।
इन्फोसिस, टीसीएस और एचसीएल ने भारत में कारोबार करने वाली अमेरिकी कंपनी कॉग्निजेंट के साथ मिलकर साल 2024 में इस कार्यक्रम के शीर्ष 10 लाभार्थियों को दिए गए 41 फीसदी से अधिक एच-1बी वीजा हासिल कर लिए। अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा के आंकड़ों के अनुसार, बाकी एच-1बी वीजा का एक बड़ा हिस्सा अमेरिकी टेक कंपनियों द्वारा हासिल किया गया जिनमें एमेजॉन, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, मेटा, ऐपल और आईबीएम शामिल हैं।
इन्फोसिस और टीसीएस जैसी भारतीय आईटी कंपनियों को अमेरिका की प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनी मेटा, माइक्रोसॉफ्ट और ऐपल के मुकाबले अधिक एच-1बी वीजा जारी किए गए हैं। इन्फोसिस को प्रमुख सर्च इंजन गूगल के मुकाबले अधिक एच-1बी वीजा दिए गए हैं।
आंकड़ों के अनुसार, 2024 में सबसे अधिक एच-1बी वीजा हासिल करने वाली कंपनियों की सूची में इन्फोसिस 8,140 एच-1बी वीजा के साथ दूसरे नंबर पर है। वह 9,265 एच-1बी वीजा के साथ एमेजॉन से पीछे है। शीर्ष 10 की सूची में भारत की तीन आईटी कंपनियां इन्फोसिस, 5,272 वीजा के साथ टीसीएस, 2,953 वीजा के साथ एचसीएल अमेरिका और 6,321 वीजा के साथ कॉग्निजेंट शामिल हैं।
इसके विपरीत विप्रो, टेक महिंद्रा, एलऐंडटी टेक एलटीआई माइंड्री, एमफैसिस और हेक्सावेयर टेक्नोलॉजित को कुल मिलाकर महज 6,606 एच-1बी वीजा जारी किए गए। इस प्रकार इन कंपनियों को जारी ए-1बी वीजा की कुल संख्या केवल इन्फोसिस के आंकड़े से भी काफी कम है।
अमेरिका की प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनियों ने भी एच-1बी वीजा का बड़ा हिस्सा झटक लिया। एमेजॉन ने विभिन्न कंपनियों के जरिये 14,658 एच-1बी वीजा हासिल कर लिए। एच-1बी वीजा हासिल करने वाली अन्य अमेरिकी कंपनियों में 4,844 वीजा के साथ मेटा, 4,725 वीजा के साथ माइक्रोसॉफ्ट, 3,173 वीजा के साथ ऐपल और 2,157 वीजा के साथ एक्सेंचर शामिल हैं। यहां तक कि मस्क की टेस्ला भी 1,767 एच-1बी वीजा के साथ एक प्रमुख लाभार्थी रही।
अमेरिका अत्यधिक कुशल विदेशी श्रमिकों को अस्थायी तौर पर अमेरिका लाने के लिए 1990 से ही एच-1बी वीजा जारी करता रहा है। एच-1बी वीजा धारक ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं और अमेरिका में अपने प्रवास की अवधि बढ़ा सकते हैं।
इस वीजा की सालाना संख्या को 85,000 तक सीमित किया गया है और इसके लिए आवेदन करने वाली कंपनियों को लॉटरी के जरिये वीजा दिया जाता है। एच-1बी वीजा की मांग आपूर्ति के मुकाबले काफी अधिक होने के कारण कंपनियों के बीच तगड़ी प्रतिस्पर्धा दिखती है। भारत बड़ी तादाद में एच-1बी वीजा हासिल करता रहा है।
ट्रंप ने 2020 में अपने पहले कार्यकाल के दौरान इस वीजा व्यवस्था में बदलाव करने की कोशिश की थी, लेकिन आखिरकार कोई बदलाव नहीं हो पाया था। मगर हाल में उन्होंने यह दिखाने की कोशिश की है कि वह हमेशा से एच-1बी वीजा के पक्षधर रहे हैं।