GST Rate Cut: भारत की सरलीकृत दो स्तरीय वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली 22 सितंबर से लागू होने जा रही है। लिहाजा, देश के अहम त्योहारी सीजन से कुछ हफ्ते पहले ई-कॉमर्स कंपनियां अपनी रणनीतियों को नया रूप देने में लग गई हैं। उद्योग के अधिकारियों के अनुसार, ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं को मांग में तेजी की उम्मीद है, लेकिन साथ ही उन्हें अल्पकालिक परिचालन चुनौतियों से भी जूझना पड़ेगा।
नए ढांचे में कई स्लैब वाली वर्तमान प्रणाली में दरें घटकर सिर्फ 5 फीसदी और 18 फीसदी रह गई हैं। इस कारण कुछ उपभोक्ताओं ने कम कीमतों की उम्मीद में बड़ी खरीदारी टाल दी है। उधर, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म भी साल की अपनी सबसे बड़ी बिक्री की अवधि से पहले बिलिंग सिस्टम और इन्वेंट्री प्रबंधन को अपडेट करने में जुटे हुए हैं।
उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, ग्राहकों, विक्रेताओं और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म की समग्र दक्षता में सुधार के लिहाज से यह एक सकारात्मक कदम है। हम इसके बारीकियों का इंतज़ार कर रहे हैं। उपभोक्ताओं के बड़ी खरीदारी टालने से कुछ समय की सुस्ती हो सकती है, लेकिन रोजमर्रा की जरूरतों की चीज़ों की मांग पर इसका असर पड़ने की संभावना नहीं है।
कार्यकारी अधिकारी ने कहा कि कंपनियों को अपनी आपूर्ति श्रृंखला प्रक्रियाओं को समायोजित करने तथा उत्पाद की कीमतें घटाने की जरूरत हो सकती है। ये ऐसे कदम हैं, जो परिचालन संबंधी चुनौतियां पैदा कर सकते हैं।
उद्योग के अधिकारियों को उम्मीद है कि इन बदलावों से त्योहारी सीजन की बिक्री में 15 से 20 फीसदी का इजाफा होगा, विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स और टिकाऊ उपभोक्ता सामान जैसे टीवी, एसी और घरेलू उपकरणों में। हालांकि छोटे विक्रेताओं को निकट भविष्य में अनुपालन समायोजन के साथ जूझना पड़ सकता है।
ईवाई इंडिया में कर, उपभोक्ता उत्पाद और खुदरा क्षेत्र के पार्टनर और नैशनल लीडर परेश पारिख ने कहा, कुछ ऑनलाइन उपभोक्ता, विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स और उपकरणों जैसे महंगे सामानों के लिए, जीएसटी की नई कम दरों के लागू होने तक खरीदारी को स्थगित कर सकते हैं और प्रतीक्षा करें और देखें का रुख अपना सकते हैं क्योंकि लोगों को कीमत में संभावित कटौती की उम्मीद है।
पारिख ने कहा कि अल्पावधि में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को उचित बिलिंग, इनवॉइसिंग और इन्वेंट्री प्रबंधन से जुड़ी कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यह समसस्या अनुपालन जोखिमों और लॉजिस्टिक संबंधी दिक्कतों के प्रबंधन की है, खासकर छोटे विक्रेताओं के लिए जिनके पास इसे तेजी से अपनाने के लिए बुनियादी ढांचे की कमी हो सकती है।
त्योहारी सीजन के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ब्रांड और रिटेलर अब निश्चिंत होकर त्योहारी ऑफर, इन्वेंट्री निर्णय और प्रचार अभियान शुरू कर सकते हैं। विशेषज्ञों ने कहा कि बाजार और हितधारकों ने इस सुधार का दिवाली बोनस के रूप में स्वागत किया है और उपभोक्ता विश्वास और समग्र मांग के साथ-साथ निवेशकों के भरोसे के रूप में इसके संभावित असर को पहचाना है।
एमेजॉन इंडिया के प्रवक्ता ने कहा, इस दूरदर्शी सुधार से कर ढांचे में बहुप्रतीक्षित पूर्वानुमान और स्थिरता आई है। उन्होंने कहा, यह सरल दृष्टिकोण हमारे मार्केटप्लेस के माध्यम से बिक्री करने वाले लाखों विक्रेताओं की जटिलता कम करने में मदद करेगा।
एमेजॉन ने कहा कि इस सुधार से ई-कॉमर्स में निरंतर निवेश और नवाचार के गंतव्य के रूप में भारत की स्थिति मजबूत होती है। एमेजॉन ने कहा कि त्योहारों पर लोकप्रिय खरीदों पर जीएसटी में कमी और विक्रेताओं द्वारा पहले से ही तैयार बेहतरीन डील के कारण ग्राहक उसकी प्रमुख सेल इवेंट एमेजॉन ग्रेट इंडियन फेस्टिवल के दौरान शानदार बचत की उम्मीद कर सकते हैं। यह इवेंट 23 सितंबर से शुरू होने की उम्मीद है।
एमेजॉन की मुख्य प्रतिस्पर्धी फ्लिपकार्ट भी इसी महीने बिग बिलियन डेज सेल शुरू करने की योजना बना रही है। फ्लिपकार्ट समूह के कॉरपोरेट मामलों के अधिकारी रजनीश कुमार ने कहा, आगामी त्योहारी सीजन से पहले इन सुधारों का समय पर क्रियान्वयन निश्चित रूप से विभिन्न श्रेणियों में उपभोग को बढ़ावा देगा, बाजार पहुंच को व्यापक बनाएगा और विकसित भारत की दिशा में हमारी सामूहिक यात्रा को रफ्तार देगा।
डेटम इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2025 में त्योहारी सीजन की बिक्री 27 फीसदी बढ़कर 1.20 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचने की उम्मीद है। उपभोक्ता ब्रांडों में निवेश करने वाली कंपनी रकम कैपिटल की संस्थापक और मैनेजिंग पार्टनर अर्चना जागीरदार ने कहा कि त्योहारी सीजन की बिक्री और खुदरा बिक्री का माहौल पहले ही शुरू हो चुका है और 92 फीसदी भारतीय उपभोक्ता अपना खर्च जारी रखने या बढ़ाने की योजना बना रहे हैं।
जागीरदार ने कहा, शुरुआती ट्रेंड पहले ही बता चुके हैं कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म में ऑर्डर की वैल्यू 14 फीसदी बढ़ चुकी है और संशोधित व कम जीएसटी दरों से इसमें और बढ़ोतरी होगी। इससे देश के ब्रांडों और स्टार्टअप का विश्वास मजबूत होगा।
उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि वैश्विक मांग में मंदी के शुरुआती संकेत दिखाई दे रहे हैं और अमेरिकी व्यापार शुल्क बढ़ने से भारतीय निर्यात प्रभावित हो रहा है। इसलिए घरेलू खपत पर ध्यान केंद्रित करना समय की मांग है।
जेएसए एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स के पार्टनर कार्तिक जैन ने कहा, कई क्षेत्रों में जीएसटी स्लैब में कटौती से निश्चित रूप से उपभोक्ताओं का उत्साह बढ़ेगा जिससे व्यवसायों को कीमतों पर पुनर्विचार करने और इनका लाभ ग्राहकों को देने के लिए कुछ राहत मिलेगी। इससे मांग में वृद्धि की संभावना है, विशेष रूप से इसलिए कि त्योहारी सीजन नजदीक है।
सभी क्षेत्रों में इसका असर पहले से ही देखा जा सकता है। जैन ने कहा कि एफएमसीजी ब्रांड पैक के आकार और कीमतों में बदलाव पर विचार कर सकते हैं, टिकाऊ और व्हाइट गुड्स के निर्माताओं में त्योहारी सीजन में ज्यादा दिलचस्पी देखी जा रही है और शुरुआती स्तर के वाहन निर्माता खासकर मझोले और ग्रामीण बाजारों में फिर बहाली की तैयारी कर रहे हैं। कृषि से जुड़ी अर्थव्यवस्था को भी इन दरों में कटौती से बढ़ावा मिलेगा, जिससे उत्पादन और ग्रामीण खर्च दोनों में सुधार होगा।
जैन ने कहा, हालांकि सरल दरें सही दिशा में कदम हैं, लेकिन कई छोटे व्यवसायों को अभी भी अनुपालन और डिजिटल बुनियादी ढांचे से संबंधित चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है और इन परिवर्तनों से पूरी तरह से लाभान्वित होने में उनकी मदद के लिए लक्षित समर्थन सुनिश्चित करना आवश्यक होगा।