न्यायपालिका की सख्त चेतावनी के बाद केंद्र सरकार अब मेट्रो रेलवे ऐक्ट में संशोधन करने की तैयारी में है। इसका मकसद अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इन्फ्रा (RInfra) की एक सहायक इकाई के साथ लंबे समय से चल रही कानूनी लड़ाई में दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) की संपत्ति को न्यायालय द्वारा जब्त किए जाने की संभावना से बचाना है।
आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय ने अधिनियम की धारा 89 में संशोधन के लिए एक मसौदा विधेयक जारी दिया है, जिसमें उस उपधारा को पूरी तरह हटाने का प्रस्ताव है, जिसके तहत न्यायालय मेट्रो कॉर्पोरेशन की संपत्तियों को जब्त कर सकते हैं।दिल्ली उच्च न्यायालय ने 17 मार्च को एक आदेश जारी किया था कि पंचाट के फैसले के मुताबिक भुगतान सुनिश्चित किया जाए, जो पिछले 5 साल से बकाया है। न्यायालय ने यह भी कहा था कि अगर DMRC सभी बकाया भुगतान करने में असफल रहता है तो न्यायालय के पास मंत्रालय और दिल्ली सरकार को आगे और उचित दिशानिर्देश देने के अधिकार सुरक्षित हैं।
संशोधन के नोट में मंत्रालय ने कहा है कि दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को देखते हुए कानून में बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही है, जिसमें दिल्ली मेट्रो की संपत्ति जब्त किए जाने संबंधी एक उपधारा है। इसमें कहा गया है कि ऐसी कोई संभावना नहीं होनी चाहिए कि दिल्ली मेट्रो की बंदी की स्थिति आए, राष्ट्रीय राजधानी ठहर जाए और कानून व्यवस्था का जोखिम पैदा हो जाए।
मंत्रालय ने कहा, ‘केंद्र सरकार सार्वजनिक संपत्तियों की संरक्षक है और वह ऐसी असहज स्थिति पैदा नहीं होने दे सकती।’
डीएमआरसी की दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (DAMEPL) में करीब 4,700 करोड़ रुपये हिस्सेदारी है। न्यायालय ने कहा है कि वह पंचाट के फैसले के मुताबिक कंपनी को भुगतान सुनिश्चित करे या चूक की स्थिति में संपत्ति की जब्ती का सामना करे।
इसी महीने न्यायालय में दायर शपथपत्र में केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने कहा था, ‘केंद्र सरकार से कहा जा रहा है कि वह उस कंपनी के लिए डीएमआरसी की संपत्तियां कुर्क करे, जो 30 साल के अनुबंध के पहले कुछ वर्षों में ही एयरपोर्ट मेट्रो लाइन की सेवाओं को छोडकर चली गई।’