टेक दिग्गज कंपनी गूगल ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) की तरफ से लगाए गए 1,338 करोड़ रुपये के जुर्माने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी है। गूगल ने यह अर्जी नैशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के आदेश के खिलाफ दर्ज कराई है जिसने 29 मार्च के CCI के आदेश को सही ठहराया और गूगल को पूरा जुर्माना अदा करने का आदेश सुनाया था।
गूगल ने एक बयान जारी कर कहा कि कंपनी ने आज एंड्रॉयड मामले में NCLAT के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील याचिका दायर की है। NCLAT ने भी पाया था कि कंपनी की तरफ से अनुचित बिजनेस प्रैक्टिस से जो नुकसान हुआ है उसको अभी साबित करने की जरूरत है। गूगल सुप्रीम कोर्ट के सामने अपना मामला पेश करने के लिए उत्सुक है कि कैसे एंड्रॉयड ने भारतीय यूजर्स को फायदा पहुंचाया और भारत में डिजिटल परिवर्तन को रफ्तार दी।’
क्यों लगा 1338 करोड़ रुपये का जुर्माना? जानें पूरा मामला
बता दें कि गूगल पर आरोप है कि इसने एंड्रॉयड मोबाइल इकोसिस्टम में अपनी पोजिशन का गलत तरीके से इस्तेमाल किया है।
CCI ने अक्टूबर 2022 में कहा था कि Google ने एंड्रायड मामले में मजबूत होने के कारण अपनी प्रमुख स्थिति का फायदा उठाया है। आयोग ने आरोप लगाते हुए कहा था कि भारत में कुल 60 करोड़ में से 97 फीसदी स्मार्टफोन में गूगल का एंड्रॉइड मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम है।
CCI ने कहा था कि गूगल ने एंड्रायड डिवाइस मेकर्स पर यह दबाव बनाया कि अपने हर फोन में गूगल के ऐप्स डिफॉल्ड के तौर पर शामिल करें। गूगल के इन ऐप्स में इसका सर्च इंजन ‘गूगल सर्च’, यू-ट्यूब, गूगल क्रोम आदि शामिल हैं।
CCI ने कहा कि इससे गूगल अकेले ही खुद का मार्केट बनाना चाहता है और किसी प्रतिस्पर्धी को बाजार में आने नहीं देना चाहता जो कि गलत है।
गौरतलब है कि सैमसंग जैसी कई कंपनियां अपना खुद का सर्च इंजन देती हैं। लेकिन गूगल की इस शर्त की वजह से उनके लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।
इसके अलावा CCI ने कहा था कि गूगल अपनी प्रमुख स्थिति का फायदा उठाते हुए ऐप पब्लिशर्स पर यह दबाव बनाता है कि वे इन-ऐप खरीदारी (In-app Purchase) को गूगल पे के जरिये करें यानी ऐप पब्लिशर्स जो भी ऐप गूगल के प्ले स्टोर पर पब्लिश करें उस ऐप से जुड़े हर पेमेंट को गूगल के ही प्लेटफॉर्म गूगल पे के जरिये ही करें। CCI ने कहा कि इसी वजह से अगर ऐप पब्लिशर्स को किसी दूसरे पेमेंट प्लेटफॉर्म से बेहतर डील मिलती भी है तो वे उसका उपयोग नहीं कर पाते।
इसके बाद CCI ने Google को ऐप डेवलपर को ऐप और इन-ऐप खरीदारी के लिए थर्ड पार्टी बिलिंग या पेमेंट प्रोसेस का उपयोग करने का विकल्प देने का आदेश दिया।
CCI ने Google को डिवाइस मेकर्स पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने का आदेश दिया, जिसमें ऐप्स की प्री-इंस्टॉलेशन से संबंधित प्रतिबंध भी शामिल था।
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सुप्रीम कोर्ट में क्यों दी गई चुनौती ?
CCI ने गूगल पर अपने स्वामित्व का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है और 1338 करोड़ रुपये अदा करने का आदेश दिया है। हालांकि, गूगल ने आयोग के इस फैसले को मार्च में NCLAT में चुनौती दी।
NCLAT ने सुनवाई के बाद CCI के 10 निर्देशों में से 4 को रद्द करके Alphabet Inc. की यूनिट गूगल को थोड़ी राहत दी, लेकिन 29 मार्च को गूगल पर लगे CCI के जुर्माने के आदेश को बरकरार रखा था। अब गूगल ने NCLAT को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी है।