चेन्नई से करीब 45 किलोमीटर दूर बसे मरैमलाई नगर में फोर्ड इंडिया (Ford India) के कारखाने को किसी समय भारतीय वाहन उद्योग की शान माना जाता था। लेकिन 9 सितंबर, 2021 को फोर्ड ने भारत का बाजार छोरत का बाजार खाने को किसी समय फभमलाके ड़ने और यहां वाहन बनाना बंद करने का ऐलान क्या किया, इस कारखाने की किस्मत पर ग्रहण लग गया। फोर्ड की इस घोषणा के करीब 21 महीने बाद तमिलनाडु सरकार कारखाने की जमीन का इस्तेमाल रियल एस्टेट के मकसद से करने के अनूठे तरीके ढूंढ रही है।
कारखाने की जमीन रियल एस्टेट के लिए इस्तेमाल करने पर पहली बार विचार किया जा रहा है और इसकी रूपरेखा भी अभी तैयार नहीं की गई है। मगर राज्य सरकार ने किसी दूसरी प्रमुख कार कंपनी के आने और कारखाना खरीदने की संभावना भी खारिज नहीं की है। बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में तमिलनाडु के उद्योग मंत्री टीआरबी राजा ने कहा कि एक बड़े वैश्विक ब्रांड समेत कई वाहन निर्माताओं के साथ कारखाने के अधिग्रहण की बात चल रही है।
रियल एस्टेट की योजना और वैश्विक दिग्गजों के साथ बातचीत उस समय चल रही है, जब फोर्ड इंडिया के साणंद प्लांट को टाटा मोटर्स ने खरीदा है। टाटा मोटर्स ने अपनी सहायक इकाई टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के जरिये इसका अधिग्रहण 725 करोड़ रुपये में किया और सौदे की घोषणा अगस्त 2022 में की गई थी।
राजा ने कहा, ‘फोर्ड के रियल एस्टेट के लिए हमारे पास एक और विचार है। यह बहुत महत्त्वपूर्ण रियल एस्टेट संपत्ति है और हम इसका इस्तेमाल अनूठे और नए तरीके से करने के बारे में सोच रहे हैं। इसके लिए हम कुछ नया करेंगे। हम आम जनता के लिए इसका इस्तेमाल करने की कोशिश भी करेंगे ताकि राज्य और उसके लोगों का फायदा हो। रोजगार और राजस्व के लिए जो भी बेहतर होगा, हम करेंगे।’ मगर उन्होंने यह नहीं बताया कि योजना क्या है।
Ford कंपनी के प्रवक्ता ने संपर्क करने पर बताया कि फोर्ड इंडिया चेन्नई प्लांट के लिए विकल्प तलाश रही है और इससे ज्यादा कंपनी को कुछ नहीं कहना है। इस कारखाने में दो पालियों में 1.5 लाख से ज्यादा कार और तीन पालियों में 2 लाख से ज्यादा कार बन सकती थीं। बंद होते समय कारखाने में कुल 2,592 कर्मचारी कार्यरत थे। बिक्री में गिरावट और करीब 2 अरब डॉलर के नुकसान की वजह से फोर्ड को अपनी भारतीय इकाई बंद करने पर मजबूर होना पड़ा। कंपनी के तमिलनाडु कारखाने में आखिरी वाहन जुलाई, 2022 में बना था।
राजा ने कहा, ‘यह कीमती जमीन है, इसलिए कई विकल्प सोचे जा रहे हैं। मुझे लगता है कि फोर्ड समझदारी के साथ विकल्प चुनेगी। कारखाने पर अभी फोर्ड का ही मालिकाना हक है और वही इस बारे में फैसला करेगी।’ बीते दो साल में इस कारखाने ने काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं। टाटा मोटर्स, ओला इलेक्ट्रिक और महिंद्रा ऐंड महिंद्रा ने भी इसमें दिलचस्पी दिखाई मगर बात बन नहीं पाई।