रोजमर्रा के इस्तेमाल का सामान (FMCG) बनाने वाली कंपनियों को पिछले दो हफ्ते से ग्रामीण बाजार से सहारा मिला है क्योंकि वहां से मांग बढ़ी है। पिछले 18 महीनों से ग्रामीण बाजार में एफएमसीजी की मांग सुस्त चल रही थी। हालांकि यह कहना जल्दबाजी होगी कि ग्रामीण बाजार की मांग तेजी की राह पर लौट आई है, लेकिन पहली बार उपभोक्ता वस्तुओं की मांग के लिए कुछ अच्छे संकेत दिखे।
अदाणी विल्मर के सीईओ अंशु मलिक ने कहा, ‘दिसंबर के पहले 15 दिनों में सुस्ती रही, लेकिन महीने के आखिरी 15 दिनों में हमें खपत में सुधार दिख रहा है।’ उन्होंने कहा कि अब किसानों को आमदनी हो रही है। इसके अलावा जनवरी में शादी-ब्याह का सीजन आने से भी मांग को बल मिला है। उन्होंने कहा कि जनवरी-मार्च तिमाही में मांग बेहतर रहने की उम्मीद है।
पारले प्रोडक्ट्स पर ग्रामीण बाजार की कमजोर मांग का खास असर नहीं पड़ा था मगर पिछले एक महीने में उसने भी ग्रामीण बाजार में बेहतर वृद्धि दर्ज की है। पारले प्रोडक्ट्स के वरिष्ठ श्रेणी प्रमुख मयंक शाह ने कहा, ‘ग्रामीण मांग 3 से 4 फीसदी के दायरे में बढ़ रही थी मगर पिछले महीने इसने 5-6 फीसदी वृद्धि हुई।’
गैर-खाद्य वस्तुओं की मांग बढ़ी है मगर उम्मीद से कम इजाफा हुआ है। दक्षिण की एफएमसीजी कंपनी केविनकेयर के अनुसार पिछले सप्ताह देश के ग्रामीण क्षेत्रों में मांग थोड़ी सुधरी है। केविनकेयर के मुख्य कार्याधिकारी वेंकटेश विजयराघवन ने कहा, ‘ग्रामीण क्षेत्रों में मांग जरूर सुधरी है मगर उतनी नहीं, जितनी हम पर्सनल केयर खंड में उम्मीद कर रहे हैं। ठंड शुरू होने के कारण मांग पहले से बढ़ी है, लेकिन इसमें पर्याप्त तेजी नहीं आ पाई है। जनवरी-मार्च में मांग जरूर तेज होनी चाहिए।’
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विजयराघवन ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में फसल कटाई के बाद किसानों के हाथ में पैसा आएगा, जिसके बाद मार्च तिमाही में मांग में तेजी आएगी। हालांकि रिटेल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म बिजॉम के आंकड़ों के अनुसार दिसंबर के पहले 20 दिनों में मांग नवंबर की तुलना में 8.1 प्रतिशत कम थी। पिछले साल दिसंबर के मुकाबले यह 9.4 प्रतिशत कम रही। बालाजी वेफर्स के संस्थापक चंदू वीरानी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में पिछले 15 दिनों के दौरान नमकीन (सॉल्टी स्नैक्स) की मांग भी बढ़ी है।