दैनिक उपभोक्ता वस्तुओं (एफएमसीजी) का निर्माण करने वाली कंपनियों के लिए अधिक महंगाई एक बार फिर चिंता का विषय बन गई है। चीनी और गेहूं जैसी वस्तुओं की कीमतें बढ़ने और उन्हीं स्तरों पर स्थिर होने के बाद कच्चे तेल में भी उछाल आई है। इसने एफएमसीजी कंपनियों की चिंताओं को और बढ़ा दिया है।
इसके अलावा मॉनसून के चालू सीजन के दौरान अगस्त में सूखा रहने से ग्रामीण मांग पर असर पड़ा है। लेकिन एफएमसीजी कंपनियां मॉनसूनी बारिश में सुधार और त्योहारी सीजन से पहले मांग बढ़ने के संबंध में सतर्कता बरतते हुए आशावान हैं।
जायडस वेलनेस के मुख्य कार्याधिकारी तरुण अरोड़ा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि वर्ष 2021 से अधिक महंगाई बनी हुई है, लेकिन कच्चे तेल के दामों में इजाफा होना अब चिंता की वजह है। ये दिक्कत बन सकता है। हालांकि चीनी और गेहूं के दाम बढ़े हैं, लेकिन अब भी तक हम इस अधिक स्तर को वहन करने में कामयाब रहे हैं।
अलबत्ता उन्होंने यह भी कहा कि वर्ष 2021 और 2022 में महंगाई की स्थिति काफी खराब थी। पारले प्रोडक्ट्स ने कहा कि महंगा कच्चा तेल अब तक कोई बड़ा मसला नहीं है क्योंकि यह लागत का कोई बड़ा हिस्सा नहीं है। पारले प्रोडक्ट्स के वरिष्ठ श्रेणी प्रमुख मयंक शाह ने कहा कि पैकेजिंग और ढुलाई लागत में 10 से 20 प्रतिशत का इजाफा हो चुका है, लेकिन वे अब भी हमारी कुल लागत का प्रमुख हिस्सा नहीं हैं।
कंपनी की कुल लागत में पैकेजिंग और माल ढुलाई का हिस्सा आठ से 10 प्रतिशत तक रहता है। दूसरी तरफ कंपनी को मांग में सुधार दिखाई दे रहा है क्योंकि सितंबर में बारिश के कारण खपत में सुधार हुआ है। शाह ने कहा, ‘किसान अब चिंतित नहीं हैं।’
बिजोम के आंकड़ों के अनुसार अगस्त में एफएमसीजी वस्तुओं की बिक्री में पिछले महीने और पिछले साल की तुलना में कमी आई थी और दुकानों में कुछ उत्पादों का स्टॉक बढ़ गया था। पिछले महीने की तुलना में शैंपू से लेकर डिटर्जेंट तक में एफएमसीजी की बिक्री अगस्त में 8.4 प्रतिशत कम रही। पिछले साल की तुलना में उनमें 11.2 प्रतिशत की गिरावट आई।
हालांकि शहरी बिक्री पिछले साल के मुकाबले 1.9 प्रतिशत अधिक रही, लेकिन ग्रामीण बिक्री को चोट पहुंची। बिजोम के अनुसार पिछले साल की तुलना में वह 17.2 प्रतिशत कम रही। शुक्रवार को प्रॉक्टर ऐंड गैंबल इंडिया द्वारा अपनी दोनों सूचीबद्ध कंपनियों – प्रॉक्टर ऐंड गैंबल हाइजीन ऐंड हेल्थ केयर (पीजीएचएच) और जिलेट इंडिया के लिए आयोजित पहले निवेशक दिवस पर एफएमसीजी क्षेत्र की दिग्गज ने कहा कि जिंसों के दाम अधिक स्तर पर बने हुए हैं और उसे लागत दबाव में कोई गिरावट दिखी है।
जिलेट इंडिया के मुख्य वित्तीय अधिकारी गौतम कामत ने निवेशकों को संबोधित करते हुए कहा कि इसका मतलब यह है कि लाभ पर दबाव बना रहेगा। बेशक यह बात अलग-अलग उद्योग को प्रभावित करने वाली वस्तु के आधार पर उद्योगों के बीच अलग-अलग हो सकती है। ब्रोकरेज फर्म आनंद राठी ने 9 सितंबर को जारी की गई अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और असमान मॉनसून से मार्जिन लाभ बिगड़ सकता है।