facebookmetapixel
Editorial: भारत में अनुबंधित रोजगार में तेजी, नए रोजगार की गुणवत्ता पर संकटडबल-सर्टिफिकेशन के जाल में उलझा स्टील सेक्टर, QCO नियम छोटे कारोबारियों के लिए बना बड़ी चुनौतीस्लैब और रेट कट के बाद, जीएसटी में सुधार की अब आगे की राहइक्विटी म्युचुअल फंड्स में इनफ्लो 22% घटा, पांच महीने में पहली बार SIP निवेश घटाGST मिनी बजट, लार्जकैप के मुकाबले मिडकैप और स्मॉलकैप में जो​खिम: शंकरन नरेनAIF को मिलेगी को-इन्वेस्टमेंट योजना की सुविधा, अलग PMS लाइसेंस की जरूरत खत्मसेबी की नॉन-इंडेक्स डेरिवेटिव योजना को फ्यूचर्स इंडस्ट्री एसोसिएशन का मिला समर्थनभारत की चीन को टक्कर देने की Rare Earth योजनानेपाल में हिंसा और तख्तापलट! यूपी-नेपाल बॉर्डर पर ट्रकों की लंबी लाइन, पर्यटक फंसे; योगी ने जारी किया अलर्टExpanding Cities: बढ़ रहा है शहरों का दायरा, 30 साल में टॉप-8 सिटी में निर्मित क्षेत्रफल बढ़कर हुआ दोगुना

राजकोषीय घाटा 21.2 फीसदी रहा

Last Updated- December 11, 2022 | 5:12 PM IST

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में केंद्र का राजकोषीय घाटा 3.52 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पूरे वित्त वर्ष के लक्ष्य 16.6 लाख करोड़ रुपये का 21.2 फीसदी है। सरकार का पूंजीगत बढ़ने और राजस्व प्राप्तियां घटने से राजकोषीय घाटे पर असर पड़ा है। पिछले वित्त वर्ष की समान अव​धि में केंद्र का राजकोषीय घाटा 2.7 लाख करोड़ रुपये था, जो 15.7 लाख करोड़ रुपये के बजट अनुमान का 18.2 फीसदी ही था।
महालेखा नियंत्रक (सीजीए) द्वारा आज जारी आंकड़ों से पता चलता है कि पहली तिमाही में राजस्व प्रा​प्तियां (कर तथा गैर-कर प्रा​प्तियां) 5.68 लाख करोड़ रुपये रहीं, जो साल के लक्ष्य की 25.8 फीसदी हैं। पिछले साल की समान अव​धि में राजस्व प्रा​प्तियां 5.4 लाख करोड़ रुपये थीं यानी इस साल इनमें महज 5 फीसदी का इजाफा हुआ है।
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में शुद्ध कर राजस्व 5.06 लाख करोड़ रुपये रहा, जो बजट अनुमान का 26.1 फीसदी है। यह पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही के 4.1 लाख करोड़ रुपये से 23 फीसदी अधिक है। हालांकि वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में कुल प्रा​प्तियों में से 2.1 लाख करोड़ रुपये जून में मिले थे।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘पहली तिमाही में कर राजस्व में अच्छी वृद्धि हुई है और कम आधार का इसे लाभ मिला है। हम उम्मीद करते हैं कि गैर-उत्पाद सकल कर राजस्व बजट अनुमान से अ​धिक रहेगा।’ हालांकि नायर ने आगाह किया कि मुद्रास्फीति के कारण भारतीय उद्योग जगत के मार्जिन पर दबाव रहने से कॉरपोरेट कर कम रह सकता है। इस साल जून में कॉरपोरेट कर संग्र​ह पिछले साल जून के मुकाबले महज 3 फीसदी बढ़ा है।
वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में गैर-कर राजस्व संग्रह 62,160 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल समान तिमाही में 1.27 लाख करोड़ रुपये रहा था। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा लाभांश के तौर पर उम्मीद से काफी कम 30,307 करोड़ रुपये मिलने से गैर-कर राजस्व कम रहा है। ​ पिछले साल रिजर्व बैंक ने 99,122 करोड़ रुपये का लाभांश दिया था।
गैर-ऋण पूंजीगत प्रा​प्तियां पहली तिमाही में 27,982 करोड़ रुपये रहीं, जो पिछले साल समान अव​धि में महज 7,402 करोड़ रुपये थीं। इस साल भारतीय जीवन बीमा निगम के आईपीओ की वजह से सरकार को 20,516 करोड़ रुपये मिले हैं।
इंडिया रेटिंग्स के प्रधान अर्थशास्त्री सुनील सिन्हा ने कहा, ‘हमारा मानना है कि ऊंची मुद्रास्फीति से नॉमिनल जीडीपी को बढ़ावा मिलेगा, जिससे सरकार को न केवल वित्त वर्ष 2023 का कर संग्रह लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी ब​ल्कि वह इससे ज्यादा कर जुटा सकती है।’ चालू वित्त वर्ष में शुद्ध कर संग्रह का बजट लक्ष्य 19.35 लाख करोड़ रुपये रखा गया है।
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सरकार का कुल व्यय 9.48 लाख करोड़ रुपये या बजट आकार 39.4 लाख करोड़ रुपये का 24 फीसदी रहा। पिछले वित्त वर्ष की समान अव​धि में यह 8.2 लाख करोड़ रुपये था। इनमें राजस्व व्यय 7.72 लाख करोड़ रुपये और पूंजीगत व्यय 1.75 लाख करोड़ रुपये रहा।  जून महीने में ही पूंजीगत व्यय 67,990 करोड़ रुपये रहा। दो साल तक कोविड महामारी की मार झेलने के बाद अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सरकार ने पूंजीगत व्यय बढ़ाया है और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों पर वह ज्यादा निवेश कर रही है।
वित्त मंत्री ने जुलाई की शुरुआत में बिज़नेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा था, ‘हमने पूंजीगत व्यय का जो रास्ता चुना है, उस पर कायम रहेंगे। महामारी के दौरान भी हमने पूंजीगत संप​त्तियों पर खर्च का तरीका अपनाया और इससे अर्थव्यवस्था में सुधार सुनि​श्चित हुआ।’ 0वित्त वर्ष 2023 के लिए कुल पूंजीगत व्यय का लक्ष्य 7.5 लाख करोड़ रुपये रखा गया है, जिसमें राज्यों को उनकी पूंजीगत व्यय जरूरतों के लिए दिया गया 1 लाख करोड़ रुपये का दीर्घाव​धि ब्याज मुक्त कर्ज भी शामिल है। इनमें से ज्यादातर रा​शि राज्यों को जुलाई-सितंबर तिमाही में आवंटित किए जाने की उम्मीद है।
इंडिया रेटिंग्स के सिन्हा ने कहा कि पूंजीगत व्यय में दो अंक की वृद्धि से अर्थव्यवस्था को ऐसे समय में मदद मिलेगी, जब वै​​श्विक अनि​श्चितता की वजह से निजी निवेश की रफ्तार नरम है। उन्होंने कहा कि कच्चे तेल पर अप्रत्या​शित लाभ कर तथा अन्य निर्यात शुल्क से सरकार का राजस्व बढ़ेगा और स​ब्सिडी पर ज्यादा खर्च तथा पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती की भरपाई करने में इससे मदद मिलेगी।

First Published - July 30, 2022 | 12:31 AM IST

संबंधित पोस्ट