धातुओं और तमाम अन्य वस्तुओं की कीमतों में आ रही तेजी का असर अब उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं पर (कंज्यूमर डयूरेबल्स) पर भी साफ नजर आने लगा है।
लगातार बढ़ती महंगाई की वजह से खरीदार इन वस्तुओं में कम दिलचस्पी दिखा रहे हैं। यही वजह है कि चालू वित्त वर्ष के शुरुआती 10 महीनों के दौरान इन वस्तुओं के उत्पादन में खासी गिरावट दर्ज की गई।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2007-08 के दौरान जनवरी तक की अवधि में कंज्यूमर डयूरेबल्स के उत्पादन में 3.1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में इनके उत्पादन में 5.3 प्रतिशत का इजाफा हुआ था।
उद्योग के जानकारों की मानें, तो सूचकांकों में कुछ खास वस्तुओं को गलत तरीके से प्रोत्साहित किया जाना और प्रीमियम उत्पादों के आयात में इजाफा ही जिम्मेदार हैं।
आईआईपी के आंकड़ों में कम खपत वाली वस्तुएं मसलन, श्वेत-श्याम टेलीविजन, वीसीआर और टेप रिकॉर्डर वगैरह शामिल हैं। दिलचस्प है कि डीवीडी प्लेयर्स, सेट टॉप बॉक्स और एलसीडी वगैरह की मांग बढ़ी है, लेकिन सूचकांक में इन्हें शामिल नहीं किया गया है।
कंज्यूमर डयूरेबल्स उद्योग भी इन पैमानों को सही नहीं मान रहा है। कंपनियों के मुताबिक इन मानदंडों की समीक्षा की जानी चाहिए क्योंकि उद्योग तो हर क्षेत्र में अच्छी-खासी वृध्दि दिखा रहा है।
उपभोक्ता इलेक्ट्रिनिक्स निर्माता कंपनी संघ के महासचिव, सुरेश खन्ना का कहना है कि उत्पादन सूचकांक में उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं ने 5.5 प्रतिशत अधिक योगदान दिया है, लेकिन सूचकांक मापने के लिए जो बुनियादी मानदंड हैं, उन्हें बदलने की जरूरत है, जैसे ऑटो क्षेत्र।
इस क्षेत्र के उत्पादों की लोगों तक पहुंच कम है, इसलिए सरकार को यहां सुधार करना चाहिए।
विश्लेषकों का मानना है कि यह अंतर इसलिए भी देखने को मिल रहा है, क्योंकि इस क्षेत्र में बेहद पेचीदा ढंग से तमाम उत्पादों को शामिल किया गया है। इसमें ऑटोमोबाइल को शामिल करना सही नहीं है।
गोदरेज अप्लायंसेज के मुख्य परिचालन अधिकारी जॉर्ज मेनेजेस का कहना है कि उत्पादन सूचकांक उपभोक्ता मांग से जुड़ा होना चाहिए, चूंकि प्रीमियम उत्पादों में से काफी आयात किए जाते हैं।
एलसीडी, फ्रंटलोड वॉशिंग मशीन और फ्रॉस्ट-फ्री फ्रिज जैसे प्रीमियम उत्पादों की बिक्री में इजाफा हो रहा है। इसलिए इस क्षेत्र का प्रदर्शन तोलने के लिए विकास दर पर विचार किया जाना चाहिए।
उद्योग सूत्रों का कहना है चूंकि कंपनियां प्रीमियम उत्पादों के लिए संयंत्र लगाने पर विचार कर रही हैं, इसलिए आने वाले समय में उत्पादन में तेजी देखी जा सकती है।
हाल ही में सैमसंग ने भारत में फ्रंट-लोड वॉशिंग मशीन का उत्पादन शुरू किया है। सैमसंग और एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स ने चेन्नई और पुणे में नए कारखाने भी शुरू किए हैं।
मिर्क इलेक्ट्रॉनिक्स और गोदरेज जैसी भारतीय कंपनियों ने भी अपने एयर कंडीशनर और वॉशिंग मशीन के लिए विस्तार की योजना बनाई है।