आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) काम की गतिशीलता (work dynamics) को बदल रही है, इसलिए एंट्री लेवल कोडर्स (entry-level coders) को विशिष्ट प्रौद्योगिकी डोमेन (niche technology domains) में विशेषज्ञता के लिए खुद को फिर से कुशल बनाना होगा और नौकरियां खोने के जोखिम को कम करने के लिए AI के साथ काम करना सीखना होगा।विशेषज्ञों ने यह राय रखी।
एडेको इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, पूरे भारत में एंट्री लेवल की तकनीकी नौकरियों में 15-20 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो संभावित रूप से एआई ऑटोमेशन (AI automation) से जुड़ी है। एडेको इंडिया के जनरल स्टाफिंग निदेशक मनु सहगल ने कहा, “यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि यह गिरावट आर्थिक स्थितियों या कौशल आवश्यकताओं में बदलाव सहित कई कारकों के संयोजन के कारण हो सकती है।”
सहगल ने आगे कहा, “AI अब दोहराई जाने वाली कोडिंग (repetitive coding) को संभाल सकता है और बेसिक मैनुअल कोडिंग संसाधनों की आवश्यकता को कम करते हुए बेसिक एप्लिकेशन बना सकता है। IT ग्रेजुएट्स के एक बड़े ग्रुप और कम नौकरी वाले बाजार के साथ, शेष पदों के लिए प्रतिस्पर्धा तेज हो गई है।”
विशेषज्ञों का मानना है कि एंट्री लेवल के आईटी डेवलपर्स से उम्मीदें बदल रही हैं।
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रैंडस्टैड डिजिटल के ग्लोबल डिलिवरी और टैलेंट ऑफिसर रोहित किशोर ने कहा, “स्क्रैच से कोडिंग में महत्वपूर्ण समय बिताने के बजाय, जूनियर डेवलपर्स से AI-जनरेटेड कोड के साथ अधिक निकटता से काम करने, इसे वैलिडेट करने, ट्रायल करने और ऑप्टिमाइज करने की अपेक्षा की जाएगी। जिम्मेदारियों में यह बदलाव कौशल के एक अलग सेट और सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट लाइफ साइकिल की गहरी समझ की आवश्यकता को भी दर्शाता है।”
किशोर ने आगे कहा, “हमारा मानना है कि जैसे-जैसे एआई टेक्नोलॉजीज अधिक प्रचलित होंगी, एआई एकीकरण (AI integration), मॉडल प्रशिक्षण (model training) और नैतिक एआई प्रथाओं (ethical AI practices) में विशेषज्ञता वाले डेवलपर्स की मांग बढ़ेगी। एंट्री लेवल के डेवलपर्स जो इन नई तकनीकों को अपना सकते हैं और डेटा विश्लेषण (data analysis), मशीन लर्निंग और एआई नैतिकता जैसे क्षेत्रों में कौशल विकसित कर सकते हैं, नियोक्ताओं द्वारा उनकी मांग अधिक होगी और उनको नौकरी से निकाले जाने की संभावना कम होगी।”
CIEL HR के एमडी और सीईओ आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा, एंट्री लेवल के डेवलपर्स को नौकरी से निकाले जाने के जोखिम को कम करने के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
मिश्रा ने कहा, “सबसे पहले, उन्हें उद्योग के बदलते रुझानों के लिए अपनी विपणन क्षमता (marketability) और अनुकूलनशीलता (adaptability) को बढ़ाने के लिए एआई, क्लाउड कंप्यूटिंग और साइबर सुरक्षा सहित उभरती प्रौद्योगिकियों के साथ निरंतर सीखने और अपडेट रहने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, एआई के साथ काम करने में उनके कौशल को तेज करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये प्रौद्योगिकियां मनुष्यों की तुलना में अधिक कुशलता से कार्य कर सकती हैं।”
उन्होंने आज के गतिशील कार्यस्थल (dynamic workplace) में खुद को बनाए रखने के लिए टीम निर्माण, सहयोग, समस्या-समाधान और जिज्ञासा जैसे सॉफ्ट स्किल विकसित करने के महत्व पर भी प्रकाश डाला।
मिश्रा ने कहा, “आजीवन सीखने वाले और जिज्ञासु बने रहने से, एंट्री लेवल के डेवलपर्स नौकरी की बढ़ती मांगों के अनुकूल खुद को बेहतर ढंग से ढाल सकते हैं और छंटनी के जोखिम को कम कर सकते हैं।”
माइकल पेज के क्षेत्रीय निदेशक और भारत प्रौद्योगिकी प्रैक्टिस के प्रमुख प्रांशु उपाध्याय ने कहा, “एंट्री-लेवल पर तकनीकी नौकरियां जैसे फ्रंट-एंड डेवलपर्स को एआई से सबसे अधिक खतरा है क्योंकि वे प्रकृति में अधिक प्रशासनिक हैं और उनमें बहुत कम स्किल सेट होते हैं जिन्हें सॉफ्टवेयर द्वारा कॉपी किया जा सकता है। हालांकि AI कोड लिखने में मदद करता है, फिर भी उस कोड को सही करने के लिए मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है। इसलिए, पांच लोगों की एक टीम को अब घटाकर दो कर दिया जा सकता है, लेकिन एआई सभी नौकरियों की जगह नहीं ले सकता है।”