सरकार ने संकटग्रस्त विमानन कंपनी एयर इंडिया के लिए बोली लगाने के मानदंडों में बदलाव किए हैं। इन बदलावों के बाद अब बोलीदाता इक्विटी मूल्य के बजाय उद्यम मूल्य पर बोली लगा सकते हैं। इसके साथ ही सरकार ने इस सरकारी विमानन कंपनी के लिए बोली लगाने की समय सीमा 30 अक्टूबर से बढ़ाकर 14 दिसंबर कर दी है।
किसी कंपनी के उद्यम मूल्य में शेयर मूल्य, कर्ज और उस कंपनी के साथ उपलब्ध नकदी शामिल होते हैं। दूसरी तरफ इक्विटी वैल्यू के तहत कंपनी के शेयरों के मूल्यांकन का आकलन किया जाता है। गुरुवार को गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में मंत्रियों के समूह की हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। इस बारे में केंद्रीय नागरिक विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि बोली लगाने के मानदंडों में बदलाव के बाद बोलीदाताओं की हिचकिचाहट दूरी होगी, जो अब तक कर्ज की रकम को न्यूनतम बोली रकम मान रहे थे।
एयर इंडिया के अधिग्रहण के लिए टाटा समूह सरकार के लिए पंसदीदा कंपनी हो सकती है। टाटा समूह इस समय विस्तारा और एयर एशिया दो विमानन कंपनियों का परिचालन करता है।
नागरिक विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, ‘हमें दिसंबर अंत तक बोली प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद है।’ हालांकि विनिवेश सचिव तुहित कांत पांडेय ने कहा कि एयर इंडिया में दिलचस्पी रखने वाले बोलीदाता को उसकी बोली की 15 प्रतिशत रकम पहले भुगतान करनी होगी। एयर इंडिया की बोली के लिए तय मौजूदा शर्तों के अनुसार खरीदार को इस विमानन कंपनी पर 23,286 करोड़ रुपये कर्ज का भी बोझ वहन करना होगा।
पांडेय ने कहा, ‘सभी संबंधित पक्षों के साथ कई दौर की बातचीत के बाद हमने बोली प्रक्रिया थोड़ी सरल बना दी है। नए मानदंडों के अनुसार पूर्व निर्धारित कोई कर्ज नहीं होगा, बल्कि इसका निर्धारण बाजार पर छोड़ दिया गया है। मौजूदा अनश्चितता भरे हालात को देखते हुए हम यह कदम उठा रहे हैं।’ पांडेय ने कहा कि बोली लगाने से संबंधित मानदंडों में बदलाव से अधिक से अधिक बोलीदाता आगे आ सकते हैं, लेकिन 15 प्रतिशत भुगतान पहले करने की शर्त से एयर इंडिया को लेकर गंभीर एवं वित्तीय रूप से मजबूत कंपनियां ही आगे आएंगी।
वित्तीय दबाव का सामना कर रही एयर इंडिया का नुकसान वित्त वर्ष 2021 में बढ़कर 8,000 करोड़ रुपये हो सकता है।
