इस साल कर्मचारियों के वेतन में अच्छी बढ़ोतरी की उम्मीद है। भारतीय उद्योग जगत इस साल भी दो अंक में वेतन वृद्धि कर सकता है। ग्लोबल प्रोफेशनल सर्विस फर्म Aon के नवीनतम ‘वेतन वृद्धि सर्वेक्षण’ के अनुसार उद्योग जगत 2023 में 10.3 फीसदी वेतन वृद्धि का तोहफा दे सकता है। हालांकि पिछले साल औसत वेतन वृद्धि 10.6 फीसदी रही थी।
दिलचस्प है कि वैश्विक स्तर पर आर्थिक चिंता के बावजूद भारत एकमात्र प्रमुख देश है, जहां दो अंक में वेतन वृद्धि का अनुमान जताया गया है। इस सर्वेक्षण में 40 क्षेत्रों की 1,400 कंपनियों को शामिल किया गया है, जिनमें से 46 फीसदी ने 2023 में दो अंक में वेतन बढ़ने की उम्मीद जताई।
पिछले साल कर्मचारियों को 10.6 फीसदी वेतन वृद्धि का तोहफा मिला था, जो सामान्य से ज्यादा थी। ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि 2020 और 2021 में कोविड के कारण कंपनियों ने वेतन वृद्धि बहुत कम कर दी थी। भारत में Aon के एक्जीक्यूटिव कंपन्सेशन और गवर्नेंस प्रैक्टिस लीडर और निदेशक प्रीतीश गांधी ने कहा, ‘कोविड के बाद 2023 में कर्मचारियों की तनख्वाह 10.3 फीसदी बढ़ने का अनुमान है, जो स्पष्ट तौर पर भारत की वृद्धि में कंपनियों के भरोसे को दर्शाता है।’
विशेषज्ञों ने कहा कि वेतन वृद्धि के अनुमान के आंकड़े सकारात्मक संकेत हैं। TeamLease में मुख्य बिज़नेस अधिकारी सुमित कुमार ने कहा, ‘कंपनियों को बढ़ती लागत संभालने और प्रतिभाओं को अपने साथ जोड़े रखने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में 10.3 फीसदी वेतन वृद्धि व्यावहारिक प्रतीत होती है। हालांकि ऊंची मुद्रास्फीति और उधारी दर में बढ़ोतरी औसत वेतन वाले कर्मचारियों के हौसले पर असर डाल सकती है। ऐसे में स्पष्ट है कि मंदी के पिछले दौर की तरह वेतन में कटौती की संभावना नहीं है।’
इस बीच 2022 में कर्मचारियों की नौकरी छोड़ने की दर भी बढ़ी है और यह 21.4 फीसदी पर पहुंच गई। सर्वेक्षण में कहा गया है कि प्रतिभाओं की आपूर्ति और मांग के अंतर को देखते हुए वेतन में यह बढ़ोतरी उचित है। हाल के समय में छंटनी से भी कई कर्मचारियों को नौकरी गंवानी पड़ी है। वित्तीय संस्थानों में 8.4 फीसदी और प्रौद्योगिकी परामर्श एवं सेवा क्षेत्र में 5.7 फीसदी कर्मचारियों को नौकरी छोड़नी पड़ी है। विनिर्माण क्षेत्र में 1.8 फीसदी और वाहन उद्योग में 1.9 फीसदी कर्मचारियों को रोजगार गंवाना पड़ा है।
Aon में भारत के मानव पूंजी समाधान पार्टनर रूपक चौधरी ने कहा, ‘पहले इस्तीफे और फिर चुपके से नौकरी छोड़ने के चलन से बड़ी संख्या में कर्मचारियों ने दफ्तरों को अलविदा कहा है। ऐसे में संगठनों को प्रतिभाएं जोड़े रखने की चुनौती से तो जूझना रही पड़ रहा है, मौजूदा कर्मचारियों से उत्पादकता बढ़ाने की चुनौती भी उनके सामने है।’
कुमार ने कहा कि कुशल कर्मचारियों की कमी के कारण भी नियुक्ति की लागत और नौकरी छोड़ने की दर बढ़ी है।
सर्वेक्षण के अनुसार प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्मों तथा उत्पाद से जुड़ी कंपनियों में इस साल सबसे ज्यादा औसतन 10.9 फीसदी वेतन बढ़ोतरी हो सकती है। यह अनुमान तब आया है जब विप्रो ने फ्रेशर कर्मचारियों को 6.50 लाख रुपये सालाना वेतन का ऑफर देने के बाद आधे वेतन पर काम करने को कहा है। अधिकतर आईटी कंपनियों में फ्रेशर कर्मचारियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि इन्फोसिस और विप्रो जैसी कंपनियों ने वेतन पर होने वाला खर्च घटाया हौ और आंतरिक मूल्यांकन में विफल रहने पर कई फ्रेशर नौकरी से हाथ भी धो चुके हैं।