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बिड़ला समूह के संयंत्र के निर्माण कार्य पर लगा ग्रहण

Last Updated- December 07, 2022 | 6:03 AM IST

आदित्य बिड़ला ग्रुप की नई इकाई उत्कल एल्युमिना इंटरनैशनल के लिए मुसीबतें खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही हैं।


उड़ीसा के काशीपुर में लगभग 4,000 करोड़ रुपये की लागत से लगने वाले इस संयंत्र के खिलाफ स्थानीय लोगों का प्रदर्शन उग्र रूप लेता जा रहा है। इस परियोजना के लिए अधिग्रहित भूमि के मालिकों ने कंपनी को धमकी दी है कि अगर अगले दस दिनों में कंपनी के सामने रखी गई उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वे अपनी जमीनों पर फिर से खेती करना शुरू कर देंगे।

विस्थापित और प्रभावित समिति के अध्यक्ष जस्ती कुरुला और चित्रसेन नायक ने कहा, ‘हमने कंपनी और स्थानीय प्रशासन को हमारी समस्याओं के निपटारे के लिए दस दिन का वक्त दिया है। अगर दस दिन के अंदर कंपनी और प्रशासन इस बारे में कोई फैसला नहीं करते हैं तो हम अपनी जमीनों पर फिर से खेती करना शुरू कर देंगे।’

इन प्रदर्शनकारियों को स्थानीय कांग्रेस नेताओं का भी सहयोग मिल रहा है। हाल ही में लक्ष्मीपुर में एमएलए के पद पर बैठे पूर्णमा चंद्र माझी ने भी प्रदर्शनकारियों की मांगों को जायज बताया है। कल ही इन सभी प्रदर्शनकारियों ने अतिरिक्त जिलाधिकारी को मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के  समक्ष प्रस्तुत करने के लिए 29 मांगों का एक चार्ट बना कर सौंपा था। प्रदर्शनकारियों ने काशीपुर परियोजना के अधिकारियों के पुतले भी जलाए।

पिछले तीन महीने से चल रहे विरोधों के कारण संयंत्र का निर्माण कार्य ठप पड़ा है। प्रदर्शनकारियों ने कंपनी से जमीन के अधिग्रहण के लिए ज्यादा हर्जाने, संयंत्र में स्थायी नौकरी और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ की गई सभी शिकायतें वापस लेने की मांग की है। प्रदर्शनकारी मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और कुमार मंगलम बिड़ला से इस बारे में बातचीत करना चाहते हैं। प्रदर्शनकारियों ने कहा, ‘जब तक हमारी मांगें नहीं मान ली जाती हम किसी को भी संयंत्र के आसपास जाने नहीं देंगे।’

कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कंपनी विस्थापित हुए लोगों को संयंत्र का कार्य शुरू होते ही नौकरी देने के अपने वादे पर कायम है। कंपनी विस्थापित और प्रभावित लोगों को पहले ही राज्य की नीतियों से ज्यादा सुविधएं दे चुकी हैं। उत्कल एल्युमिना की स्थापना 1992 में इस क्षेत्र में मौजूद बॉक्साइट के भंडार का इस्तेमाल कर एल्युमिना बनाने के लिए की गई थी।

उस समय यह संयंत्र इंडल, टाटा सन्स और नोर्स्क  का साझा उपक्रम था। लेकिन उस समय भी इस संयंत्र को पर्यावरणविदों और स्थानीय लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा था। आदित्य बिड़ला ग्रुप के इस संयंत्र को खरीद लेने के बाद ही संयंत्र के निर्माण कार्य में तेजी आई थी। कंपनी की योजना साल 2010 तक इस संयंत्र का दसंचालन कार्य शुरू करने की है।

First Published - June 18, 2008 | 12:01 AM IST

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