रूस और यूक्रेन के बीच जंग के शेयर बाजारों पर असर को देखने के बाद ही सरकार भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) को टालने के बारे में फैसला करेगी। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि इस समय एलआईसी का आईपीओ टालने के बारे में कोई चर्चा नहीं हो रही है। इस सार्वजनिक पेशकश के लिए सरकार के रोडशो चल रहे हैं।
एलआईसी के आईपीओ को किसी भारतीय कंपनी की सबसे बड़ी सार्वजनिक पेशकश माना जा रहा है। माना जा रहा है कि शेयर बाजार में इसकी आमद पर दुनिया भर की नजर रहेगी। मगर यूक्रेन के खिलाफ रूसी अभियान शुरू होने से बाजार घबराए हैं। बेंचमार्क सूचकांक निफ्टी 50 और सेंसेक्स आज करीब 5 फीसदी लुढ़क गए। अधिकारी ने बताया कि सरकार कोई फैसला लेने से पहले बढ़ते रूस-यूक्रेन संकट के घटनाक्रमों को देखेगी। सरकार भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) से ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (डीआरएचपी) को मंजूरी मिलने के बाद उपयुक्त समय पर मर्चेन्ट बैंकरों से विचार-विमर्श करेगी। आईपीओ मार्च के दूसरे सप्ताह में आने के आसार हैं।
इसके साथ ही निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) द्वारा नियुक्त बिचौलिये रोडशो के एक हिस्से के रूप में निवेशकों से संपर्क जारी रखेंगे। सरकार ने 180 निवेशकों से संपर्क साधने का लक्ष्य तय किया है। इनमें कुछ बड़े नाम भी शामिल हैं, जिन्होंने अभी तक भारत के किसी आईपीओ में हिस्सा नहीं लिया है। इन रोडशो में भागीदारी के लिए चार टीमें बनाई गई हैं, जिनमें एलआईसी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक और दीपम एवं वित्त सेवा विभाग के अधिकारी शामिल हैं। केंद्र कतर इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी, अमेरिका की सैंड्स कैपिटल, सिटाडेल एवं सर्वेयर कैपिटल, मार्शल वेस, ओकट्री कैपिटल, टेमासेक, अबूधाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (एआईडीए), कनाडा पेंशन प्लान इन्वेस्टमेंट बोर्ड से संपर्क करने की योजना बना रहा है।
केंद्र आईपीओ के जरिये एलआईसी में अपनी 5 फीसदी या 31.6 करोड़ शेयर बेचने की योजना बना रहा है, जिसे विश्व की सबसे बड़ी पेशकशों में से एक माना जा रहा है। इस बीमा कंपनी की अंतर्निहित कीमत 5.39 लाख करोड़ रुपये अनुमानित है।