केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड ने फैब्रिक्स, अपैरल और फुटवियर पर 12 प्रतिशत की एकसमान दर से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसी) अधिसूचित किया है। इसका मकसद उल्टे कर ढांचे को दुरुस्त करना है। इस पर इस क्षेत्र की कंपनियों की ओर से मिली जुली प्रतिक्रिया आई है।
इस कदम से बड़े विनिर्माता व खुदरा कारोबारी खुश हैं। जीएसटी के एकसमान 12 प्रतिशत कर ढांचे से उनकी उल्टे कर ढांचे की चिंता का समाधान हो जाएगा। यह एक अहम मसला था क्योंकि कुछ इनपुट कंपोनेंट ज्यादा कर ढांचे के तहत आते हैं।
अपैरल और फुटवियर की बदली हुई जीएसटी दरें 1 जनवरी, 2022 से प्रभावी होंगी।
अरविंद के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक संजय लालभाई ने कहा, ‘यह सरकार का स्वागत योग्य कदम है। इससे उल्टे कर ढांचे की समस्या का समाधान हुआ है।’ उन्होंने कहा कि बड़ी कंपनियों को ऐसे मसलों से जूझना पड़ता था क्योंकि उनकी पूंजी की बड़ी राशि उल्टे कर ढांचे के कारण फंस जाती थी। लालभाई ने कहा, ‘हालांकि यह महत्त्वपूर्ण है कि इसमें कोई खामी न हो और लोग मानकों का पालन करें।’
जूते के खुदरा कारोबारी मेट्रो ब्रांड के चेयरमैन रफीक मलिक ने कहा, ‘अब उल्टे कर ढांचे के मसले को खत्म कर दिया गया है।’ उन्होंने कहा कि 1,000 रुपये से कम के जूते चप्पल पर 5 प्रतिशत जीएसटी ढांचे से तमाम तरह के भ्रम होते थे।
हालांकि वैल्यू रिटेलर वी-मार्ट रिटेल इस बदलाव से खुश नहीं है। कंपनी के चेयरमैन ललित अग्रवाल का मानना है कि इससे असंगठित क्षेत्र के कारोबारियों की संख्या बढ़ेगी। अग्रवाल ने कहा, ‘इससे विनिर्माताओं के कार्यशील पूंजी की जरूरत बढ़ जाएगी।’ उन्होंने कहा कि कच्चे माल की कीमतें पहले ही बहुत ज्यादा हैं और इसकी वजह से विनिर्माता, खुदरा कारोबारी व ग्राहक प्रभावित होंगे। पिरामिड के सबसे नीचे वाले खरीदार ही होते हैं, जो 1,000 रुपये से नीचे के कपड़े खरीदते हैं और इसकी वजह से उनकी जेब पर असर पड़ेगा।
अग्रवाल का मानना है कि संभावना है कि सरकार के इस कदम से मात्रा में कमी आएगी, हालांकि लालभाई का कहना है कि इससे मात्रा पर असर नहीं पड़ेगा, लेकिन कुछ चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है।
खुदरा उद्योग के निकाय रिटेलर्स एसोसिएशन आफ इंडिया के सीईओ कुमार राजगोपालन का माना है कि अपैरल और फुटवियर को कम कर के ढांचे में रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘महामारी के बाद अर्थव्यवस्था अभी पटरी पर लौट रही है। ज्यादा इनपुुट लागत होने के कारण महंगाई दर बढऩे का दबाव है। सरकार का यह कदम उन ग्राहकों के लिए खराब है, जो कम कीमत के सामान खरीदते हैं। ‘
