टाटा स्टील की 230 लाख टन की प्रस्तावित क्षमता वाली झारखंड, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ इस्पात संयंत्र परियोजना में 12 से 16 महीने की देरी हो चुकी है । इसकी मुख्य वजह है कि इनमें से किसी भी राज्य में अभी पूरी तरह से भूमि अधिग्रहण नही हो पाया है। कंपनी के मुख्य परिचालन अधिकारी (स्टील) एच एम नेरुकर ने तीन दिवसीय स्टीलराइज 2008 सम्मेलन में बताया कि कंपनी को ग्रीनफील्ड परियोजनाओं को शुरु करने में देरी हो रही है।
नेरुकर ने बताया कि सबसे पहले उड़ीसा के कलिंगनगर में लगाए जाने वाले संयंत्र पर काम शुरु होगा। इस संयंत्र की क्षमता 60 लाख टन होगी। दरअसल कंपनी द्वारा अधिग्रहित भूमि की सीमा के अंदर अभी भी लगभग 400 परिवार रह रहें हैं । कंपनी के प्रबंध निदेशक के सलाहकार अमित चटर्जी ने बताया कि 20 हजार करोड़ की कलिंगनगर परियोजना के लिए 10 हजार करोड़ के उपकरणों के ऑर्डर दे दिए गए हैं । इस साल जल्दी ही उनके आने की उम्मीद भी है। उन्होंने कहा कि देरी होने की वजह से कलिंगनगर परियोजना की कीमत पर कोई असर नही पड़ेगा। दरअसल पहले ही उपकरणों के ऑर्डर दिये जाने की वजह से उनकी कीमत नही बढ़ी है। लेकिन परियोजना पर काम शुरु होने में अगर ज्यादा देर हुई तो कंपनी को बंदरगाह पर सामान रखने के लिए भारी पेनल्टी देनी पड़ेगी।
