निर्यात प्रक्रियाओं को सरल बनाने और विनियामकीय दक्षता को बढ़ाने के इरादे से भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने अस्वीकृत दवाओं के निर्यात के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) देने की प्रक्रिया में बड़े बदलाव का ऐलान किया है। इससे पहले भारत से दवाओं का निर्यात करने वाली कंपनियों को हर बार ऑर्डर मिलने पर ग्राहक और मात्रा संबंधित एनओसी के लिए आवेदन करना पड़ता था।
अब इस नई प्रणाली के तहत डीसीजीआई पिछले एक साल के दौरान उस विशेष दवा के निर्यात के कंपनी के इतिहास के आधार पर व्यापक एनओसी प्रदान करेगा, जब तक वह दवा आयात करने वाले देश में स्वीकृत हो। यह एनओसी ग्राहक या आयातक से बंधी हुई नहीं होगा, बल्कि यह उत्पाद और देश से संबंधित होगी, जिससे सालाना जारी होने वाली एनओसी की संख्या करीब 15,000 से घटकर तकरीब 5,000 या उससे कम हो जाएगी। इस कदम से निर्यातकों पर प्रक्रियात्मक बोझ काफी कम हो जाएगा।
जेनेरिक दवाओं के दुनिया के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता देश भारत का फार्मास्युटिकल क्षेत्र विकास के नए युग की ओर बढ़ रहा है और फार्मास्युटिकल निर्यात वैश्विक औसत से करीब दोगुनी रफ्तार के साथ नौ प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। अब भारत वैश्विक मांग का 20 प्रतिशत पूरा करता है।