देश की सबसे बड़ी रिफाइनरी कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन को लागत से कम कीमत पर पेट्रोल बेचने की बड़ी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के चेयरमैन सार्थक बेहुरिया ने बताया कि कंपनी को कम कीमत पर पेट्रोल और डीजल बेचने से रोजाना लगभग 320 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। अगर कंपनी को ऐसे ही नुकसान होता रहा तो कंपनी के लिए रूटीन खर्चों के लिए पूंजी जुटाना भी मुश्किल हो जाएगा।
भारत में खुदरा ईंधन कीमतों पर लगाम रखी जाती है जिससे महंगाई दर को नियंत्रित किया जा सके। इसीलिए पिछले साल वैश्विक बाजार में तेल की कीमतों में 57 फीसदी वृद्धि होने पर जून 2006 के बाद इसी साल फरवरी में तेल की कीमतें बढ़ाई गई हैं। कीमतों में वृद्धि दरअसल तेल रिफाइनरियों को हो रहे नुकसान को कम करने के लिए की गई थी।
तेल रिफाइनरियों को कम कीमतों पर पेट्रोल और डीजल बेचने के लिए सरकार की तरफ से बाँड्स के रूप में आंशिक मुआवजा मिलता है। वित्त वर्ष 2007-08 के लिए तेल रिफाइनरियों को 23,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की कीमत के बाँड दिए जाऐंगे। इससे पहले वित्त वर्ष में इन कंपनियों को लगभग 24,000 करोड़ रुपये के बाँड्स दिए गए थे। बेहुरिया ने बताया कि कंपनियों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए सिर्फ बांड्स ही काफी नहीं हैं।
उन्होंने बताया कि इंडियन ऑयल इन बाँड्स को 9 से 10 फीसदी की छूट के साथ बेचती है। माना जा रहा है कि रिफाइनरी कंपनियों द्वारा ऋण ली जाने वाली राशि का आंकड़ा बढ़कर 3,000 करोड़ रुपये प्रति माह तक पहुंच जाएगा।