कारोबारी क्षेत्र के वकीलों का कहना है कि एमेजॉन-फ्यूचर कंपनियों की कानूनी लड़ाई अमेरिकी रिटेल कंपनी के शेयरधारकों के 24,000 करोड़ रुपये के लेन-देन में न सिर्फ देरी करा सकती है, बल्कि लेनदेन को पटरी से भी उतार सकती है।
फ्यूचर और एमेजॉन एक-दूसरे के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में मजबूत तर्क दे रहे हैं। कारोबारी क्षेत्र के वकीलों का कहना है कि सबसे बेहतर रास्ता एक दूसरे के साथ बातचीत करना है जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि फ्यूचर समूह की कंपनियां दिवाला प्रक्रिया में न फंसे। कॉरपोरेट लॉ फर्म अलायंस लॉ के मैनेजिंग पार्टनर आरएस लोना ने कहा, ‘एमेजॉन ने शेयरधारकों के अधिकारों से संबंधित कुछ मजबूत तर्क दिए हैं। किसी समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद, कोई एक भागीदार एकतरफा निर्णय नहीं ले सकता। यह अंतत: शेल कंपनियों में एमेजॉन की हिस्सेदारी के परिणाम के रूप में सामने आएगा।’
2019 में, एमेजॉन ने फ्यूचर रिटेल की प्रमोटर इकाई फ्यूचर कूपन (एफसीपीएल) में 49 फीसदी हिस्सेदारी लगभग 1,500 करोड़ रुपये में हासिल की थी। लेकिन सौदे पर हस्ताक्षर करने के कुछ महीनों के बाद ही फ्यूचर को काफी नुकसान होने लगा और आखिरकार अगस्त 2020 में फ्यूचर समूह ने सभी समूह की कंपनियों को एक इकाई में विलय करने के बाद बनी फ्यूचर एंटरप्राइजेज लिमिटेड को आरआईएल से बेचने के लिए एक सौदा किया। एमेजॉन ने तब फ्यूचर को एक कानूनी नोटिस भेजा, जिसमें यह आरोप लगाया कि रिटेलर के सौदे में अमेरिकी ई-कॉमर्स फर्म के साथ किए गए समझौते को तोड़ा गया, जिसने इसे पहले इनकार का अधिकार (आरओएफआर) दिया। इसके बाद एमेजॉन ने सिंगापुर इंटरनैशनल आर्बिट्रेशन सेंटर (एसआईएसी) का रुख किया, और फ्यूचर ग्रुप द्वारा रिलायंस को कारोबार की बिक्री से संबंधित संविदात्मक अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया। इस दौरान एसआईएसीने एमेजॉन के पक्ष में आदेश पारित किया।
एकल न्यायाधीश पीठ द्वारा इस सौदे पर रोक लगाने के बाद यह मामला वर्तमान में दिल्ली उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ के पास लंबित है।
एक अन्य वकील का कहना है कि विभिन्न फ्यूचर ग्रुप कंपनियों ने अच्छे रिटर्न का आश्वासन देते हुए कई विदेशी निवेशकों से धन जुटाया। दूसरे वकील ने कहा, ‘फ्यूचर ग्रुप, दूसरे शेयरधारकों के लिए शेल कंपनियां रखते हुए समूह की सभी कंपनियों का विलय नहीं कर सकती। अदालतों के लिए इस सौदे को स्पष्ट करना मुश्किल होगा क्योंकि विलय के कारण शेयरधारकों के अधिकारों को प्रभावित किया गया हैं।’ इस तर्क के अलावा यह भी सही है कि इससे 25,000 के करीब नौकरियां खत्म हो जाएंगी। एक अन्य वकील ने कहा, ‘जब तक एमेजॉन और फ्यूचर ग्रुप इस मामले को नहीं सुलझा लेते, तब तक सौदे का भविष्य अपने आप में असमंजस में है।’
भारत और सिंगापुर में ये अदालती प्रक्रियाएं चल रही हैं और लॉकडाउन के कारण समूह की तरलता स्थिति गंभीर रूप से प्रभावित हुई, जिससे समूह की कंपनियों की नगदी प्रवाह की क्षमता बाधित हुई है। फ्यूचर रिटेल ने अतिरिक्त कार्यशील पूंजी आदि को जारी करने के लिए आरबीआई पैकेज के अनुसार मोरेटोरियम के लिए ऋणदाताओं के पास आवेदन किया है। कुछ बैंकों ने पहले से ही अतिरिक्त कार्यशील पूंजी सीमाएं जारी कर दी हैं। कंपनी ने 6 अगस्त 2020 को जारी आरबीआई के दिशानिर्देशों के तहत वन टाइम रिस्ट्रक्चरिंग (ओटीआर) सुविधा के लिए ऋणदाताओं के पास भी आवेदन किया है।