अपने कर्ज के एक हिस्से को इक्विटी में बदलने की पवन ऊर्जा कंपनी सुजलॉन एनर्जी की योजना को भारतीय लेनदारों ने मंजूरी दे दी है, जिसके कारण लेनदारों की हिस्सेदारी इस कंपनी में बढ़कर 35 फीसदी हो जाएगी, वहीं प्रवर्तक तुलसी तांती की हिस्सेदारी 16 फीसदी से घटकर 12.7 फीसदी रह जाएगी। एक अन्य लेनदार आरईसी सुजलॉन को नया कर्ज देकर 4.3 फीसदी हिस्सेदारी लेगा, जिसका इस्तेमाल कंपनी पुराने कर्ज के वित्त पोषण में करेगी। सुजलॉन का कर्ज करीब 4,100 करोड़ रुपये है।
सुजलॉन के अग्रणी बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने 16 फरवरी को पुनर्वित्त प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी और अन्य मौजूदा लेनदार अपने-अपने संबंधित अथॉरिटी से मंजूरी हासिल करने की प्रक्रिया में हैं। पुनर्वित्त प्रस्ताव के मुताबिक, कंपनी का पूरा बकाया ऑप्शनल कन्वर्टिबल डिबेंचर 4,100 करोड़ रुपये का है और उसे इक्विटी शेयरों में बदला जाएगा, लिहाजा लेनदारों की स्थिति अग्रणी होगी।
पुनर्वित्त प्रस्ताव में आरईसी को तरजीही आधार पर वॉरंट जारी करने की परिकल्पना की गई है जिसे बाद में इक्विटी में तब्दील किया जाएगा। लेनदेन पूरा होने के बाद सार्वजनिक शेयरधारकों की हिस्सेदारी घटकर 36.4 फीसदी रह जाएगी।
बुधवार को सुजलॉन का शेयर 3.5 फीसदी चढ़कर 9.7 रुपये पर पहुंच गया, लिहाजा कंपनी का बाजार मूल्यांकन 8,850 करोड़ रुपये हो गया।
जून 2020 में सुजलॉन और उसकी कुछ सहायकों सुजलॉन ग्लोबल सर्विसेज, सुजलॉन पावर इन्फ्रास्ट्रक्चर, सुजलॉन गुजरात विंड पार्क और सुजलॉन जेनरेटर्स ने एसबीआई की अगुआई वाले लेनदारों के कंसोर्टियम के साथ कर्ज पुनर्गठन करार पर आरबीआी के 7 जून, 2019 के परिपत्र के आधार पर हस्ताक्षर किए थे, जिसने दबाव वाली कंपनियों को राहत प्रदान की थी। समाधान योजना 30 जून, 2020 से प्रभावी हुआ और इसमें प्राकल्पित है कि सुजलॉन मौजूदा लेनदारों को पुनर्गठन सुविधा के हिसाब से निकासी का मौका देगी।
ऐसे में मौजूदा बैंकों को निकासी का रास्ता देने के लिए सुजलॉन ने मौजूदा लेनदारोंं के बकाया पुनर्गठन सहूलियत के वित्त पोषण की खातिर प्रस्ताव जमा कराया, जिसमें आरईसी से कर्ज लेकर अपने कर्ज के एक हिस्से का भुगतान, परिसंपत्ति की बिक्री, कंपनी की तरफ से जारी ओसीडी व अनिवार्य परिवर्तनीय तरजीही शेयर को सुजलॉन के इक्विटी शेयर में बदलना शामिल है।
आरईसी की तरफ से सुजलॉन को ऐसे समय में मदद मिल रही है जब कंपनी अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है क्योंकि महामारी से उसे काफी बड़ा झटका लगा और साल 2021 में उसने 1,000 करोड़ रुपये के परिचालन राजस्व पर 400 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया। दिसंबर तिमाही में कंपनी का नुकसान 182 करोड़ रुपये व राजस्व 1,001 करोड़ रुपये रहा।
लेनदारों को दिए प्रस्ताव में कंपनी ने कहा था कि मौजूदा ढांचे के तहत वह भविष्य के किसी खराब चक्र में टिकी नहीं रह सकती और बिना बढ़त के कुल देनदारी को पूरा करने उसके लिए काफी चुनौतीपूर्ण होगा।
दिसंबर तिमाही के नतीजे के समय कंपनी ने कहा था कि वह लगातार नुकसान उठा रही है और समूह का नेटवर्थ 31 दिसंबर, 2021 को 3,356.40 करोड़ रुपये नकारात्मक था। साथ ही समूह पर लेनदारों का मूलधन बकाया है, जिसमें 30 जून, 2022 को होने वाला 450 करोड़ रुपये शामिल है।