रिलायंस कैपिटल के लेनदारों की समिति (सीओसी) ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपील पंचाट (एनसीएलएटी) में याचिका दाखिल कर मांग की है कि डिफॉल्ट की स्थिति में हिंदुजा के स्वामित्व वाली इंडसइंड इंटरनैशनल होल्डिंग्स (आईआईएचएल) की तरफ से जमा कराई गई रकम जब्त कर ली जाए। सीओसी ने आईआईएचएल की देरी से भुगतान पर ब्याज दिलाने का भी अनुरोध किया है।
आईआईएचएल रिलायंस कैपिटल का अधिग्रहण करने जा रही है। याचिका के मुताबिक सीओसी मांग कर रही है कि आईआईएचएल 9,660 करोड़ रुपये के अग्रिम भुगतान पर 27 मई (समाधान योजना की मूल तिथि) से 8 अगस्त तक इसके क्रियान्वयन तक का 16.6 फीसदी सालाना की दर से ब्याज भी चुकाए।
सीओसी का दावा है कि आईआईएचएल के भुगतान में देरी के कारण उसने 8 अगस्त तक करीब 400 करोड़ रुपये का नुकसान उठाया है। याचिका में दलील दी गई है कि आईआईएचएल को एक्सटेंशन और देरी पर कोई लागत नहीं उठानी पड़ी लेकिन सीओसी लगातार वित्तीय नुकसान झेल रही है।
शुरू में आईआईएचएल को 27 मई तक आरकैप की समाधान योजना लागू करनी थी लेकिन आईआईएचएल के अनुरोध पर एनसीएलटी ने इस समयसीमा को 8 अगस्त तक का बढ़ा दिया। अब आईआईएचएल एक और विस्तार चाह रही है और कह रही है कि उसे विभिन्न नियामकीय मंजूरियों के लिए अतिरिक्त समय चाहिए। इसी के बाद सीओसी ने एनसीएलएटी में याचिका दाखिल की।
याचिका में यह भी कहा गया है कि दिवालिया प्रक्रिया करीब 16 महीने से चल रही है। इसने चेतावनी दी है कि अगर आईआईएचएल डिफॉल्ट करती है तो प्रक्रिया फिर से शुरू होती है तो लेनदारों को और नुकसान उठाना होगा क्योंकि नए खरीदार की तलाश में वक्त लगेगा। लिहाजा, सीओसी का अनुरोध है कि 2,750 करोड़ रुपये के इक्विटी फंड का हिस्सा जब्त किया जाए और डिफॉल्ट की स्थिति में आईआईएचएल को नहीं लौटाया जाए।