facebookmetapixel
सेबी ने IPO नियमों में ढील दी, स्टार्टअप फाउंडर्स को ESOPs रखने की मिली मंजूरीNepal GenZ protests: नेपाल में क्यों भड़का प्रोटेस्ट? जानिए पूरा मामलाPhonePe का नया धमाका! अब Mutual Funds पर मिलेगा 10 मिनट में ₹2 करोड़ तक का लोनभारतीय परिवारों का तिमाही खर्च 2025 में 33% बढ़कर 56,000 रुपये हुआNepal GenZ protests: प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के बाद राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने भी दिया इस्तीफापीएम मोदी ने हिमाचल के लिए ₹1,500 करोड़ के राहत पैकेज का ऐलान किया, मृतकों के परिजनों को ₹2 लाख की मददCredit risk funds: क्रेडिट रिस्क फंड्स में हाई रिटर्न के पीछे की क्या है हकीकत? जानिए किसे करना चाहिए निवेशITR Filing2025: देर से ITR फाइल करना पड़ सकता है महंगा, जानें कितनी बढ़ सकती है टैक्स देनदारीPower Stock में बन सकता है 33% तक मुनाफा, कंपनियों के ग्रोथ प्लान पर ब्रोकरेज की नजरेंNepal GenZ protests: पीएम ओली का इस्तीफा, एयर इंडिया-इंडिगो ने उड़ानें रद्द कीं; भारतीयों को नेपाल न जाने की सलाह

पिछले 5 वर्षों में गैर-सूचीबद्ध श्रेणी में 1 अरब डॉलर से ज्यादा राजस्व वाली कंपनियां बढ़ीं

मंगलवार की खबरों के मुताबिक ब्रोकरेज फर्म जीरोधा ने वित्त वर्ष 24 में एक अरब डॉलर का राजस्व पार कर लिया।

Last Updated- December 17, 2024 | 11:09 PM IST
Companies with revenues of more than $1 billion increased in the unlisted category in the last 5 years पिछले 5 वर्षों में गैर-सूचीबद्ध श्रेणी में 1 अरब डॉलर से ज्यादा राजस्व वाली कंपनियां बढ़ीं

वैश्विक महामारी के बाद सूचीबद्ध कंपनियों की आय में उछाल ने बाजारों को भले ही नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है, लेकिन भारत की गैर-सूचीबद्ध श्रेणी भी पीछे नहीं है। कैपिटालाइन के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि पिछले पांच वर्षों में गैर-सूचीबद्ध श्रेणी ने एक अरब डॉलर से अधिक राजस्व वाली कंपनियों की सूची में दर्जनों कंपनियों को जोड़ा है। वित्त वर्ष 20 में ऐसी 190 कंपनियां थीं। वित्त वर्ष 23 में इनकी संख्या बढ़कर 249 हो गई। वित्त वर्ष 24 के आंकड़े अभी जारी किए जा रहे हैं, लेकिन यह आंकड़ा पहले ही 153 तक पहुंच चुका है। मंगलवार की खबरों के मुताबिक ब्रोकरेज फर्म जीरोधा ने वित्त वर्ष 24 में एक अरब डॉलर का राजस्व पार कर लिया।

इस विश्लेषण में केवल उन कंपनियों पर विचार किया गया है, जिनका वर्ष मार्च में समाप्त होता है। कुछ कंपनियों का वर्ष दिसंबर में समाप्त होता है। उनका भी अरबों डॉलर का राजस्व है। इनमें महाराष्ट्र की हेक्सावेयर टेक्नोलॉजीज और नई दिल्ली की इंडिया यामाहा मोटर भी शामिल हैं।

ट्रेडिंग करने वाली कंपनियां अपनी गतिविधियों की प्रकृति की वजह से बड़ा राजस्व दर्ज कर सकती हैं। इस विश्लेषण में एकरूपता के लिए दर्ज की गई शुद्ध बिक्री पर विचार किया गया, कारोबार की प्रकृति भले ही कुछ भी हो। इसमें इस अवधि के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपये मूल्य में बदलाव को भी ध्यान में रखा गया है।

प्रत्येक वर्ष की संख्या उन कंपनियों को दर्शाती है, जिनकी बिक्री उस समय प्रचलित विनिमय दर के अनुसार एक अरब डॉलर थी। भारत की मुद्रा पिछले कुछ वर्षों के दौरान कमजोर हुई है, जिसका मतलब है कि मुद्रा में नरमी की प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद अरब डॉलर वाली कंपनियों में वृद्धि हुई है।

सूचना प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्र इस सूची में सबसे ऊपर है, जो कमजोर रुपये वाली स्थिति में तेजी से बढ़ सकते हैं। बीते वित्त वर्ष 2024 में उस श्रेणी में 16 कंपनियां थीं, जो इसका हिस्सा थीं। सूची में दूसरे स्थान पर ट्रेडिंग, उसके बाद वाहन, बीमा और विद्युत उत्पादन एवं वितरण कंपनियां शामिल थीं।

सूची में शामिल कुछ अन्य बड़ी कंपनियों में रिलायंस रिटेल और रिलायंस जियो जैसी गैर सूचीबद्ध कंपनियों की सहायक कंपनियां भी हैं, जिसकी सूचीबद्धता से पहले अटकलें लगाई जा रही थीं। अन्य प्रमुख कंपनियों में ई-कॉमर्स फर्म फ्लिपकार्ट (70,542 करोड़ रुपये की शुद्ध बिक्री करने वाली कंपनी) और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी ऐपल इंडिया (66,728 करोड़ रुपये की शुद्ध बिक्री करने वाली कंपनी) का नाम शामिल है।

शीर्ष दस कंपनियों में से फ्लिपकार्ट इकलौती ऐसी कंपनी थी जिसने बीते वित्त वर्ष में घाटा दर्ज किया था। कंपनी का परिचालन घाटा 3,891 करोड़ रुपये और शुद्ध घाटा 4,248 करोड़ रुपये था।

भारत की सभी गैर सूचीबद्ध कंपनियों की जांच बढ़ रही है। बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने भी निवेशकों को उन प्लेटफॉर्मों का उपयोग कर गैर सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर खरीदने और बेचने के प्रति चेताया है, जिन्होंने इस उद्देश्य के लिए लोकप्रियता हासिल की है।

9 दिसंबर को जारी बयान में कहा गया है, ‘कुछ इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म अथवा वेबसाइटें सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की असूचीबद्ध प्रतिभूतियों में लेनदेन की सुविधा दे रही है। ऐसी गतिविधियां प्रतिभूति अनुबंध (विनियमन) अधिनियम 1956 और सेबी अधिनियम 1992 का उल्लंघन हैं।’

First Published - December 17, 2024 | 11:09 PM IST

संबंधित पोस्ट