सरकार की कोयला खनन कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ‘खराब गुणवत्ता’ और ‘ढुलाई की लागत’ का हवाला देकर समझौते से मुकरने वाले अपने ग्राहकों से ईंधन आपूर्ति समझौते (एफ एसए) खत्म करने की योजना बना रही है।
कंपनी ने कहा कि इस तरह के ग्राहकों ने पहले बगैर किसी शिकायत के बोली के माध्यम से प्रीमियम भाव पर कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित की। कोल इंडिया ने कहा है, ‘कोविड-19 के कारण आई मंदी के कारण जब कोयले की मांग बहुत कम है और कोयले का मौजूदा भाव तुलनात्मक रूप से कम है, तब कुछ ग्राहक ऐसी वजहें बताकर समझौते से भाग रहे हैं, जिनका कोई ठोस आधार या तर्क नहीं है।’
हाल में खबरें आई थीं कि वेदांता, जिंदल स्टील और हिंडालको ने कोयले की गुणवत्ता खराब बताकर, आपूर्ति किए जा रहे कोयले के ग्रेड में बदलाव और परिवहन लागत ज्यादा पडऩे का हवाला देकरक कोल इंडिया से कोयले की आपूर्ति रद्द कर दी ती। इन कंपनियों को 2016 से 2018 के बीच नीलामी के माध्यम से सीआईएल से कोयले की आपूर्ति का ठेका मिला था।
एक सार्वजनिक बयान में कोल इंडिया ने कहा कि वह अपने कोयले की गुणवत्ता को गंभीरता से संज्ञान में ले रही है। बयान में कहा गया है, ‘गुणवत्ता की वजह बताना कमजोर बहाना है।’
एकाधिकार वाली खननकर्ता ने कहा कि वह ऐसे ग्राहकों से एफएसए खत्म करने पर विचार कर रही है, जो समझौते की प्रतिबद्धता से मुकर रहे हैं और अपने कॉन्ट्रैक्ट को रद्द करने का फैसला कर व्यवधान डाल रहे हैं।
कंपनी ने आगे कहा कि 1,365 करोड़ रुपये का कोयले की गुणवत्ता में अंतर का पहले का प्रावधान वापस ले लिया गया है, जो सीआईएल का शुद्ध लाभ है।
