अल्ट्राटेक सीमेंट का कहना है कि वह हाल के समय में देश के सबसे महंगे सौदों में से एक के तहत इंडिया सीमेंट्स में नियंत्रक हिस्सेदारी हासिल करेगी। उद्योग पर नजर रखने वालों का मानना है कि देश के दक्षिण भाग में एकीकरण का पटाक्षेप नहीं हुआ है और अब सभी की निगाहें कीमतों पर हैं।
अल्ट्राटेक की यह खरीद दक्षिण बाजार में सबसे नई है। इस बाजार में एक साल से भी कम में चार सौदे हुए हैं। इनमें अदाणी सीमेंट दूसरी खरीदार रही है। उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि संयुक्त रूप में इन सौदों से इस क्षेत्र में एकीकरण को और बढ़ावा मिल सकता है। विश्लेषकों के अनुमान के अनुसार अल्ट्राटेक सौदे का उद्यम मूल्य 121 डॉलर प्रति टन है जो अदाणी द्वारा एसीसी-अंबुजा सीमेंट्स के सौदे के लिए चुकाए गए 143 डॉलर प्रति टन के बाद दूसरा ऐसा सौदा है।
एमके रिसर्च के विश्लेषकों ने कहा कि पिछले दशक में भारतीय सीमेंट उद्योग में विनिवेश का औसत 100 डॉलर प्रति टन के उद्यम मूल्य स्तर पर रहा है। इस और केसोराम इंडस्ट्रीज सौदे की इतनी अधिक कीमत चुकाने के बाद उम्मीद है कि दक्षिण भारत के एक-चौथाई से अधिक बाजार पर अल्ट्राटेक सीमेंट का दबदबा हो जाएगा।
भारती सीमेंट के निदेशक रवींद्र रेड्डी ने कहा कि इस एकीकरण का असर दिख रहा है। इसके और अधिक दिखने की उम्मीद है। रेड्डी ने कहा कि दक्षिण भारत के प्रमुख ब्रांडों में से एक को अल्ट्राटेक ने और दूसरे को अदाणी ने ले लिया है। इस प्रक्रिया में केवल तीन या चार ही बचे हैं। अब भी कुछ ब्रांड हैं। दक्षिण के बाजार में अब भी 20 से अधिक ब्रांड हैं और एकीकरण की काफी गुंजाइश है।
एमके सिक्योरिटीज के विश्लेषकों के अनुसार अधिग्रहण की कतार में चेट्टीनाड सीमेंट, जुआरी सीमेंट, भारती विकट, माई होम इंडस्ट्रीज, वदराज सीमेंट, डेक्कन सीमेंट और ओरियंट सीमेंट जैसी कंपनियां इस बाजार में हैं जिनकी क्षमता 55 टन सालाना है। एक विश्लेषक के अनुसार दक्षिण बंटा हुआ बाजार है जिसमें शीर्ष 5 कंपनियों की 55 से 57 फीसदी हिसस्दारी है।