भारतीय दवा नियामक देश में दवा इकाइयों के गुणवत्ता आश्वासन पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। हाल के दिनों में जिन विनिर्माण स्थलों का निरीक्षण किया गया, उनमें से लगभग 36 प्रतिशत को गुणवत्ता मानकों का पालन न करने पर बंद होना पड़ा है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी। इनमें से लगभग 10 प्रतिशत इकाइयों ने स्थायी रूप से काम बंद कर दिया है क्योंकि वे सुधार की कार्य योजनाएं बनाने में विफल रहीं।
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) दिसंबर 2022 से विनिर्माण इकाइयों का जोखिम आधारित निरीक्षण कर रहा है। भारतीय फार्मास्युटिकल एलायंस (IPA) के वैश्विक फार्मास्युटिकल गुणवत्ता शिखर सम्मेलन-2024 में भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI) राजीव रघुवंशी ने कहा कि इन जोखिम आधारित निरीक्षणों के तहत करीब 400 इकाइयों का मुआयना किया गया और करीब 36 प्रतिशत को बंद करना पड़ा क्योंकि वे मानकों का पालन करने में विफल थीं।
रघुवंशी ने कहा, ‘जिन इकाइयों को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा, उनमें से लगभग 10 प्रतिशत को स्थायी रूप से प्रणाली से बाहर कर दिया गया क्योंकि उन्हें इस बात का भान हुआ कि वे गुणवत्ता मानकों का पालन नहीं कर पाएंगी। शेष इकाइयां सुधार के उपायों और निवारक कार्य योजनाओं के साथ लौट आई हैं।’
उन्होंने कहा कि यह अच्छा है कि घटियां इकाइयों को हटाया जा रहा है। भारत में करीब 10,000 फार्मा विनिर्माण इकाइयां हैं जिनमें से लगभग 80 प्रतिशत सूक्ष्म-लघु और मझोले स्तर वाली इकाइयां हैं। अधिकांश फार्मा इकाइयां दस्तावेजों और सत्यापन प्रक्रियाओं के क्षेत्रों में विफल रही हैं और कई इकाइयों के पास संपूर्ण गुणवत्ता नियंत्रण वाली प्रयोगशालाएं नहीं हैं। संक्षेप में कहें, तो गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली विफल हो रही है।
हालांकि कड़ी जांच और निरीक्षण से मदद मिलती दिखी है। डीसीजीआई ने कहा कि जुलाई 2023 के बाद से कोई महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता शिकायत नहीं हुई है। उन्होंने कहा, ‘इससे पहले हमें हर महीने लगभग दो शिकायतें मिल रही थीं।’ उन्होंने गाम्बिया कफ सिरप विवाद के बाद की स्थिति का उल्लेख किया, जिसमें भारत में बने कफ सिरप के सेवन से अफ्रीकी देश में बच्चों की मौत हो गई थी।
फार्मा तंत्र से जुड़ी इकाइयों की जांच की बात करें तो सीडीएससीओ भरसक प्रयास कर रहा है। उसने विनिर्माण स्थलों से शुरुआत की, फिर सार्वजनिक परीक्षण प्रयोगशालाओं की तरफ कदम बढ़ाया और अब क्लीनिकल अनुसंधान संगठनों (सीआरओ) का भी निरीक्षण कर रहा है। कुल मिलाकर लगभग 600 इकाइयों का निरीक्षण किया गया है। एक जुलाई से वह बड़ी फार्मा इकाइयों की भी जांच शुरू करेगा।