केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने पूर्व वित्त सचिव अरविंद मायाराम के खिलाफ नोटों की छपाई में कथित अनियमितता के मामले में प्राथमिकी (FIR) दर्ज की है। यह मामला उस समय का है जब वह आर्थिक मामलों के विभाग में सचिव थे।
CBI ने प्राथमिकी दर्ज करने के बाद मायाराम से संबंधित कई परिसरों पर आज तलाशी अभियान चलाया। जांच एजेंसी का आरोप है कि मायाराम ने 2013 में भारतीय नोटों के लिए ब्रिटेन की कंपनी डेलारू को विशिष्ट कलर शिफ्ट (नोटों में इस्तेमाल होने वाले सिक्योरिटी थ्रेड) की आपूर्ति करने का अनुबंध अवैध तरीके से पांच साल के लिए बढ़ा दिया था।
CBI का आरोप है कि मायाराम ने ब्रिटेन की फर्म को बेजा लाभ पहुंचाया जिसकी वजह से सरकारी खजाने को नुकसान हुआ है। 10 जनवरी को दर्ज सीबीआई की रिपोर्ट में मायाराम और वित्त मंत्रालय एवं भारतीय रिजर्व बैंक के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ ब्रिटेन की फर्म के साथ मिलकर आपराधिक षड्यंत्र का आरोप लगाया गया है।
CBI की जांच में कथित तौर पर पाया गया कि मायाराम ने गृह मंत्रालय और वित्त मंत्री से सुरक्षा मंजूरी को खारिज कर ब्रिटेन की फर्म के खत्म होने वाले अनुबंध को आगे बढ़ा दिया था। सरकार ने डेलारू इंटरनैशनल के साथ 2004 में अनुबंध किया था। इसके बाद दिसंबर 2015 तक इसे चार बार बढ़ाया गया था।