लगातार बढ़ती परेशानियों के बीच बैजूस ने सभी संदेह दूर करने के लिए बीते शनिवार यानी 24 जून को शेयरधारकों को बैठक बुलाई थी। बैठक की जानकारी रखने वाले लोगों ने अनुसार, करीब 75 शेयरधारकों को रवींद्रन ने बताया कि बैजूस में उनका निजी निवेश है और कंपनी का मूल्यांकन अभी भी 22 अरब डॉलर है। हालांकि, उन्होंने अपनी पिछली गलतियों को भी माना और शेयरधारकों को यह भरोसा दिलाया कि उनकी सीख किसी भी गलत कदम से कहीं अधिक थी।
शेयरधारकों के साथ होने वाली बैठक के बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि रवींद्रन ने कंपनी में अपने निजी निवेश को भी रेखांकित किया है, जिसमें मूल कंपनी में 40 करोड़ डॉलर, आकाश के अधिग्रहण के लिए 25 करोड़ डॉलर और पिछली फंडिंग के लिए गिरवी रखे गए सेकेंडरी शेयरों के माध्यम से अतिरिक्त 25 करोड़ डॉलर शामिल हैं। सूत्रों ने कहा, ‘उन्होंने ने बताया है कि सभी सेकेंडरी को 22 अरब डॉलर के मूल्यांकन पर कंपनी में वापस निवेश किया गया है।’
सूत्रों के अनुसार, रवींद्रन ने कहा कि एडटेक फर्म के प्रति अपने अटूट समर्पण का दावा करते हुए कहा, ‘बैजूस मेरा काम नहीं है, यह मेरी जिंदगी है।’ उन्होंने कहा कि नव नियुक्त मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) अजय गोयल और जनरल काउंसिल रोशन थॉमस की सहायता से बैजूस की सभी प्रक्रियाओं को मजबूत किया जाएगा।
बैजूस की परेशानियां उस वक्त बढ़ गईं जब कंपनी की ऑडिटर डेलॉयट हैस्किन्स ऐंड सेल ने वित्तीय परिणामों में देरी के कारण कंपनी से नाता तोड़ लिया था। फिर कंपनी के निवेशकों प्रोसस, पीक 15 पार्टनर्स और चान जुकरबर्ग इनीशिएटिव ने भी बैजूस के निदेशक मंडल से इस्तीफा दे दिया।
बैठक में इस्तीफा देने वाले बोर्ड सदस्य भी मौजूद थे और तीनों ने अपने इस्तीफे का कारण भी बताया। हालांकि, इस दौरान रवींद्रन ने शेयरधारकों को जानकारी दी कि कंपनी ने अभी तक इस्तीफे स्वीकार नहीं किए हैं।