दूरसंचार की दिग्गज भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) ने भी आखिकार खुले बाजार के रास्ते पर कदम बढ़ा दिए।
शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने के लिए कंपनी गहमागहमी में जुटी है और इसके लिए उसने आरंभिक पब्लिक इश्यू आईपीओ की भी तैयारी कर ली है। आईपीओ के मसले पर भारत सरकार के इस मिनी रत्न और कर्मचारियों के बीच खींचतान इस हफ्ते खासी चर्चा में रही।
दरअसल केंद्र सरकार ने आईपीओ के जरिये कंपनी की 10 फीसद हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है और इसके लिए उसने सबसे पहले कर्मचारियों के सामने शेयर की पेशकश रखी। दूरसंचार मंत्री ए राजा ने खुद इस मामले में पहल करते हुए बीएसएनएल कर्मचारियों की तमाम यूनियनों से बातचीत की।
बीएसएनएल अपने कर्मचारियों को महज 10 रुपये प्रति शेयर की कीमत पर 500-500 शेयर देना चाहती है। राजा और तमाम विश्लेषक मानते हैं कि भारत के दूरसंचार बाजार में तकरीबन 25 फीसद हिस्सेदारी वाली इस भारी भरकम कंपनी के शेयर कम से कम 300 या 400 रुपये की कीमत के साथ सूचीबद्ध होंगे।
जाहिर है, इससे कर्मचारियों को अच्छा खासा लाभ हो सकता है। लेकिन किसी भी तरह के निजीकरण और आईपीओ के खिलाफ लामबंद हो चुके कर्मचारी इसे नकार रहे हैं। इससे इतर, बीएसएनएल के मंसूबे कुछ और हैं। सरकार चाहती है कि इसे सार्वजनिक क्षेत्र की ज्यादा शक्तिशाली दूरसंचार कंपनी बनाया जाए।
दूरसंचार मंत्रालय भी शेयर बाजार में पहुंचकर कंपनी को ज्यादा स्वायत्तता देना चाहता है, ताकि उसे नवरत्न का दर्जा मिल सके। खुले बाजार में पहुंचने से कंपनी की साख भी पहले से ज्यादा मजबूत होगी और उसे बेहतर सौदे करने में मदद मिलेगी। कर्मचारियों का रुख चाहे बीएसएनएल को ज्यादा खुशगवार न लग रहा हो, लेकिन 3जी के मसले पर सरकार के फैसले ने उसे खासी राहत दी होगी।
नई पीढ़ी की इस दूरसंचार तकनीक के लिए सरकार ने बीएसएनएल को हरी झंडी दे दी है। बीएसएनएल बहुत जल्द इन सेवाओं पर काम भी शुरू करने वाली है। लेकिन इसके लिए उसे अच्छी खासी रकम की जरूरत होगी। कंपनी को इसीलिए आईपीओ लाने की जरूरत महसूस हो रही है। बीएसएनएल को उम्मीद है कि आईपीओ से उसे कम से कम 42,000 करोड़ रुपये की रकम मिल जाएगी।
3 जी सेवाओं या दूसरी विस्तार योजनाओं के लिए यह खासी मददगार होगी क्योंकि 2 जी के क्षेत्र में भी कंपनी लंबी छलांग मारने की तैयारी कर रही है। जानकारों की मानें, तो तकरीबन 7.4 करोड़ ग्राहकों वाली यह कंपनी बाजार में आकर बड़ी-बड़ी कंपनियों को टक्कर देने की कुव्वत रखती है।
दिल्ली या मुंबई को छोड़ दिया जाए, तो पूरे भारत में इस कंपनी का जाल फैला है और अगर कुछ रकम हाथ लग जाती है, तो इसका बुनियादी ढांचा और भी मजबूत हो जाएगा। हालांकि कंपनी की इस कवायद पर सवालिया निशाना खड़ा करने वाले भी कम नहीं हैं। उनका यही कहना है कि बाजार में बीएसएनएल की हिस्सेदारी अब कम होती जा रही है।
ऐसे में जब उसकी कीमत लगाई जाएगी, तो शायद सरकार को अपनी उम्मीद के मुताबिक नतीजे न मिलें। लेकिन राजा इससे इत्तफाक नहीं रखते। उनका यही मानना है कि कंपनी आईपीओ आने के बाद तेजी से आगे बढ़ेगी। कई जानकार भी यही मानते हैं कि निवेशकों का भरोसा टूटने की कोई गुंजाहश नहीं है।