सरकारी दूरसंचार कंपनियों भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) को सॉवरिन गारंटी के लिए 1 फीसदी गारंटी शुल्क का भुगतान करना पड़ेगा।
वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा इन कंपनियों को कुल मिलाकर 15,000 करोड़ रुपये की सॉवरिन गारंटी आवंटित करने के लिए इसे एक शर्त बनाया गया है। इसमें बीएसएनएल के लिए 8,500 करोड़ रुपये की और एमटीएनएल के लिए 6,500 करोड़ रुपये की सॉवरिन गारंटी शामिल हैं। यह गारंटी केवल मूलधन और सामान्य ब्याज के लिए होगी।
दोनो सरकारी दूरसंचार कंपनियों ने अपने ऋण को पुनर्गठित करने और विशेष तौर पर 4जी सेवाएं शुरू करने के लिए आवश्यक पूंजीगत खर्च संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार से सॉवरिन गारंटी की मांग की है। इसमें सॉवरिन गारंटी बॉन्ड जारी कर रकम जुटाने की योजना भी शामिल है। इसकी शर्तों में गारंटी शुल्क की दर गारंटी वर्ष की शुरुआत से बकाये रकम पर लागू होगी। यदि निर्धारित तिथि के भीतर गारंटी शुल्क का भुगतान नहीं किया गया तो डिफॉल्ट की अवधि के लिए सामान्य दर के मुकाबले दोगुनी दर पर शुल्क वसूला जाएगा।
यह गारंटी गैर-हस्तांतरनीय भी होगी और यदि कंपनी का स्वामित्व भारत सरकार से किसी अन्य कंपनी को हस्तांतरित किया जाता है तो भी तब तक बरकरार रहेगी जब तक नए मालिक के संबंधित बजट प्रभाग उसकी पुष्टि नए सिरे न करे।
आर्थिक मामलों के विभाग ने भी इसे स्पष्ट कर दिया है कि दूरसंचार विभाग इस गारंटी फंड के उचित उपयोग की समीक्षा करेगा। साथ ही दूरसंचार विभाग उसकी सालाना समीक्षा भी करेगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पुनर्भुगतान और सरकार को गारंटी शुल्क के भुगतान में कोई चूक न होने पाए।
साथ ही उसने यह भी निर्देश दिया है कि दूरसंचार विभाग इस सॉवरिन गारंटी एवं गारंटी शुल्क के नियमों और शर्तों पर इन दानों दूरसंचार कंपनियों के साथ अनुबंध भी करेगा।
