लवासा कॉरपोरेशन को ऋणदाताओं ने पुणे के समीप पहाड़ी शहर के लिए निवेशकों को आकर्षित करने के लिए बोली की अंतिम समय सीमा 20 नवंबर निर्धारित की है। यदि यह परियोजना बोलीदाताओं को आकर्षित करने में विफल रहती है तो ऋणदाताओं के पास कंपनी को परिसमापन में भेजने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं होगा।
इस मामले के एक करीबी बैंकर ने कहा, ‘कई बोलीदाताओं ने पहले रुचि दिखाई थी लेकि अब वे वापस जा रहे हैं। रियल एस्टेट उद्योग के मंदी के चपेट में आने के साथ ही निवेशक इस परियोजना में अधिक जोखिम नहीं चाहते हैं। आरबीआई ने एआरसी (परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियां) को दिवालिया मामलों से बाहर रखने का निर्देश दिया है। इससे भी यूवी एआरसी जैसे कुछ बोलीदाता इस दौड़ से बाहर हो गए हैं। जिन बोलीदाताओं ने रुचि दिखाई थी उनमें ओबेरॉय रियल्टी, हल्दीराम स्नैक्स, पुणे के बिल्डर अनिरुद्ध देशपांडे, और अमेरिफी फंड इंटरअप्स शामिल हैं। कुछ बोलीदाता संयुक्त बोली के लिए एक-दूसरे से बात कर रहे हैं ताकि वे अपने जोखिम को कम कर सके। देश में कोविड-19 वैश्विक महामारी के मद्देनजर कंपनी के लिए बोलियां लगातार स्थगित की गई हैं।
इस मामले के करीबी एक बैंकर ने कहा, ‘हम बोली के आक्रामक होने की उम्मीद नहीं कर रहे हैं और वह परिसमापन मूल्य के आसपास होगा। वैश्विक महामारी ने कई बोलीदाओं के प्रमुख कारोबार को प्रभावित किया है।’ प्रमुख निर्माण कंपनी एचसीसी की सहायक इकाई लवासा ने 7,700 करोड़ रुपये के बैंक ऋण की अदायगी में चूक की थी जिससे उसे 2018 में आईबीसी 2016 के तहत ऋण समाधान के लिए एनसीएलटी में भेजा गया था। ऐक्सिस बैंक ने कंपनी पर 1,266 करोड़ रुपये के सर्वाधिक बकाये का दावा किया है। एचसीसी खुद बैंक ऋण की अदायगी में चूक की है और अब वह अपने ऋण के पुनर्गठन की मांग कर रही है।
लवासा कॉरपोरेशन ने 2000 में महाराष्ट्र में पुणे के समीप पहाड़ी पर हिल स्टेशन स्थापित करने की परियोजना शुरू की थी लेकिन पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 2010 में काम बंद करने के आदेश जारी होने के बाद वह बैंक ऋण की अदायगी में चूक की। तभी से वह शहर एक भूतहा शहर बन चुका है जहां सप्ताहांत में पर्यटकों की संख्या मामूली होती है। कोविड के बाद सप्ताहांत में जाने वाले पर्यटकों की संख्या भी शून्य हो गई है। इस परियोजना में मकान बुक करने वाले कई ग्राहक अब भी मकान मिलने का इंतजार कर रहे हैं।
