देश का 4.3 लाख करोड़ रुपये का एफएमसीजी बाजार जून मेंं सुधरकर बिक्री के मामले में कोविड-19 के पहले स्तर पर आ गया, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इस सुधार की अगुआई सौंंदर्य प्रसाधन की श्रेणी ने की।
बाजार शोध एजेंसी नीलसन के आंकड़े बताते हैं कि जून में खाद्य, हाइजिन और ग्रामीण क्षेत्रोंं के मुकाबले सौंदर्य प्रसाधन क्षेत्र में तीव्र सुधार देखने को मिला।
नीलसन ने कहा, 100 के इंडेक्स में सौंदर्य की अगुआई में गैर-खाद्य जून में 104 रहा जबकि मई में यह 72 रहा था। खाद्य के मामले में जून में यह इंडेक्स 94 रहा जबकि मई में यह 78 था। ग्रामीण इलाकों के मामले में यह इंडेक्स जून में 109 रहा जबकि मई में यह 84 रहा था।
कुल मिलाकर देसी एफएमसीजी बाजार जून में 98 के स्तर पर लौट आया जबकि मई में यह 75 पर था और मार्च में 101, जब राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन का ऐलान किया गया था। मार्च में कोविड पूर्व इंडेक्स का स्तर खाद्य के लिए 103 था और गैर-खाद्य के लिए 99।
नीलसन ने कहा, हाइजिन की श्रेणी में टॉयलेट सोप जून में 114 के स्तर पर पहुंच गया, जो मई में 96 के स्तर पर था। मार्च में यह लगातार 100 पर बना रहा था। फर्श साफ करने वाली सामग्री जून में 118 के स्तर पर पहुंच गई, जो मई में 86 पर थी और मार्च में 111 पर। इस अध्ययन मेंं अप्रैल को शामिल नहीं किया गया क्योंंकि इसमें पूरी तरह लॉकडाउन रहा था और बाजार में काफी अवरोध था।
नीलसन के अध्यक्ष (दक्षिण एशिया) प्रसून बसु ने कहा, सौंदर्य प्रसाधन के क्षेत्र में बढ़त की रफ्तार का कारण उपभोक्ताओं का व्यवहार रहा क्योंकि काफी समय से उनकी इच्छाएं पूरी नहीं हो पा रही थी।
बसु ने कहा, लॉकडाउन के शुरुआती समय में ज्यादातर ध्यान आवश्यक उत्पादों का स्टॉक जमा करने पर था। चूंकि जून में देश में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई तब गैर-आवश्यक सेवाओं की शुरुआत हुई। उसी समय उपभोक्ताओं ने जीवन से जुड़े उन चीजों पर ध्यान देना चाहा जिन पर पाबंदी लगी हुई थी और इस तरह से लॉकडाउन की अवधि में जो चीजें उन्हें नहीं मिल पाई उसे खरीदना चाहा। इसी वजह से सौंदर्य प्रसाधन की श्रेणी में बढ़त देखने को मिली।
इस तरह का व्यवहार हालांकि लंबे समय तक नहीं टिका रहता, बसु ने कहा कि सौंदर्य प्रसाधन में बढ़ोतरी एफएमसीजी बाजार के लिए कुल मिलाकर अच्छा रहा। उन्होंंने कहा, हर चीजें मंदी केदायरे में नहीं है। जब उपभोक्ता खरीद को लेकर सतर्क बने हुए थे तब यह चौंकाता है कि उपभोक्ता रोजाना के इस्तेमाल की चीजों से बाहर भी खर्च कर रहे थे। हम ऐसी प्रवृत्ति पर नजर रखे हुए हैं।
ज्यादातर विशेषज्ञों ने चेताया है कि वित्त वर्ष 2020-21 कारोबार के लिहा से आसान नहीं रहने वाला है। गुरुवार को रेटिंग एजेंसी इक्रा ने वित्त वर्ष 2021 के लिए जीडीपी में गिरावट का अनुमान 9.5 फीसदी कर दिया, जो पहले 5 फीसदी था क्योंकि लॉकडाउन से सुधार पर असर पड़ा है।
