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24 साल बाद Bajaj Finserv और Allianz हो रहा है अलग, पर क्या हैं बड़े कारण? संजीव बजाज ने सबकुछ बताया

संयुक्त उपक्रम से म्यूनिख की बीमा कंपनी के बाहर निकलने के निर्णय और दोनों बीमा कंपनियों के साथ-साथ बजाज फाइनैंस के भविष्य पर विस्तार से बात की।

Last Updated- March 25, 2025 | 8:57 PM IST
Sanjiv Bajaj
बजाज फिनसर्व के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक संजीव बजाज

बीमा क्षेत्र में 24 साल तक संयुक्त उपक्रम चलाने के बाद अब बजाज फिनसर्व और आलियांज ने अलग होने का निर्णय किया है। बजाज फिनसर्व के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक संजीव बजाज ने मनोजित साहा और सुब्रत पांडा के साथ बातचीत में संयुक्त उपक्रम से म्यूनिख की बीमा कंपनी के बाहर निकलने के निर्णय और दोनों बीमा कंपनियों के साथ-साथ बजाज फाइनैंस के भविष्य पर विस्तार से बात की। बातचीत के संपादित अंश:

आलियांज के बाहर निकलने का कारण क्या था?

दोनों प्रवर्तकों को भारत में अवसर और भारत की विकास गाथा पर यकीन है। पिछले कुछ साल आलियांज ने भारत में अपनी महत्त्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कराई। उनकी रणनीति थी कि वे जिस उद्यम में हैं, उस पर उनका नियंत्रण हो। यही कारण है कि हमने बहुत सौहार्दपूर्ण ढंग से अलग होने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए और मुझे विश्वास है कि किसी समय वे भारत के लिए अपनी योजनाओं की घोषणा करेंगे।

दोनों के बीच गैर-प्रतिस्पर्धा समझौता है जो नियामक की मंजूरी मिलने और हमारे द्वारा 6.1 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने पर यह समाप्त हो जाएगा। वे अच्छे और परिपक्व भागीदार हैं, हमने पिछले 24 वर्षों में शानदार कारोबार स्थापित किया है। अगर वे आएंगे तो हम भारतीय बाजार में उनके साथ प्रभावी रूप से प्रतिस्पर्धा करेंगे।

क्या आप सौदे का प्रारूप थोड़ा विस्तार से बता सकते हैं?

आलियांज जल्द से जल्द सभी नियामक की मंजूरी के साथ बाहर निकलना चाहती थी और हम इससे सहमत थे। इसके लिए हमें उनसे 6.1 फीसदी हिस्सेदारी खरीदनी होगी। इसलिए हमने देखा कि समूह में कहां-कहां से इसके लिए पैसा आ सकता है क्योंकि बाहर से पूंजी जुटाने में समय लगता। हम बजाज फिनसर्व से कर्ज भी नहीं ले सकते क्योंकि हमारी कंपनी गैर-पंजीकृत सीआईसी है। बजाज फिनसर्व की हिस्सेदारी 74 फीसदी से बढ़कर 75 फीसदी हो जाएगी और दोनों बीमा कंपनियों पर हमारा पूर्ण नियंत्रण हो जाएगा। बाकी पूंजी समूह की दो कंपनियों बजाज हो​ल्डिंग्स और जमनालाल ऐंड संस ने दिया है।

क्या आप भविष्य में बीमा कंपनियों के लिए कोई साझेदार लाएंगे?

फिलहाल विदेशी साझेदार की कोई योजना नहीं है। हम प्रौद्योगिकी, जोखिम और पुनर्बीमा पर वैश्विक भागीदारों के साथ काम करते हैं। इसलिए हमें किसी अन्य साझेदार के साथ गठजोड़ करने की आवश्यकता नहीं है। दोनों कारोबार मुनाफे में है और उन्हें अगले 10 साल तक बाहरी पूंजी की जरूरत नहीं होगी।

आलियांज के बाहर निकलने के बाद दोनों बीमा कंपनियों की रणनीति में क्या बदलाव होगा?

रणनीति में तुरंत कोई बदलाव नहीं होगा क्योंकि हमारी रणनीति दीर्घाव​धि की योजना पर आधारित है। मगर कुछ चीजों में थोड़ा फेरबदल हो सकता है। उदाहरण के लिए अब अगर हम प्रवासी भारतीयों के लिए उत्पाद लाना चाहें तो ऐसा करने के लिए स्वतंत्र होंगे। इसी तरह हम गिफ्ट सिटी में भी अपना दफ्तर खोलना चाहें तो खोल सकते हैं। पहले इसके लिए आलियांज की मंजूरी लेनी होती थी। व्यापक रणनीति वही है जिस पर हम वर्षों से काम करते रहे हैं।

बीमा नियामक बड़ी बीमा कंपनियों को सूचीबद्ध होने के लिए प्रे​रित कर रहा है…

हमारे पास पर्याप्त पूंजी है इसलिए पूंजी जुटाने के लिए हमें सूचीबद्ध होने की जरूरत नहीं है। बीमा के नियमों के अनुसार सूचीबद्ध होना आवश्यक नहीं है। मगर हम इसके खिलाफ नहीं हैं। बोर्ड इस पर विचार करेगा।

बीमा कंपनियों की सूचीबद्धता की क्या योजना है?

सबसे पहले तो आलियांज के अलग होने की कवायद पूरी करनी है। इसके बाद बोर्ड सूचीबद्धता की प्रक्रिया पर विचार करेगा और निर्णय लेगा। मुझे नहीं लगता कि अगले एक-दो साल में हम बीमा कंपनियों को सूचीबद्ध कराएंगे।

बजाज फाइनैंस ने अनूप कुमार साहा को एमडी नियुक्त किया है और राजीव जैन वाइस चेयरमैन होंगे। नए एमडी को आपका क्या संदेश देना चाहेंगे?

नए एमडी के लिए मुख्य संदेश यही है कि देश में सबसे अच्छा ऋण व्यवसाय बनाना जारी रखें। दीर्घकालिक विकास और लाभप्रदता पर ध्यान केंद्रित करते हुए ग्राहकों को सुगम सेवा प्रदान करने तथा कर्मचारियों के लिए उच्च स्तर के नवाचार और सशक्तीकरण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। ये कुछ बुनियादी मानदंड थे जिसने हमें अनूठी कार्य-संस्कृति बनाने में मदद की है। नेतृत्व में बदलाव हो रहा है और यह ऐसे समय में हो रहा है जब हम सभी उसका समर्थन करने के लिए मौजूद हैं। यही कारण है कि राजीव कार्यकारी उपाध्यक्ष की भूमिका में बने हुए हैं ताकि वे अनूप और टीम को सहयोग कर सकें।

राजीव जैन को भी बजाज फिनसर्व के बोर्ड में भी शामिल किया गया है। क्या अब वह समूह में बड़ी भूमिका निभाएंगे? 

अब अनूप का काम अगले एक दशक या उससे भी ज्यादा समय के लिए कारोबार को खड़ा करना है इसलिए राजीव और मेरी भूमिका उनका मार्गदर्शन और समर्थन करना होगी। राजीव फिनसर्व के कुछ अन्य व्यवसायों का भी मार्गदर्शन करेंगे।

बाजार में जियो फाइनैंस से किस तरह की प्रतिस्पर्धा देखते हैं?

हम वास्तव में इस बारे में नहीं सोचते और यह भी नहीं पता कि संभावित प्रतिस्पर्धा का क्या नतीजा होगा। लेकिन मेरा मानना है कि अगले 10 से 15 वर्षों में भारत के पास जिस तरह के अवसर हैं, उसके लिए हमें लगभग चार बड़ी सक्षम और मजबूत कंपनियों की आवश्यकता है। ऋण उत्पादों और अन्य वित्तीय उत्पादों में अभी पैठ बढ़ाने की जरूरत है। हमारे पास आगे बढ़ने की रणनीति है। यह हमारी जोखिम उठाने की क्षमता पर भी आधारित है।

आरबीआई एनबीएफसी को पूंजी जुटाने के स्रोत में विविधता लाने के लिए कह रहा है। क्या यह एक चुनौती होगी?

आरबीआई ने एनबीएफसी के लिए बनाए गए पैमाने आधारित विनियमन द्वारा बहुत अच्छा काम किया। इसके चलते हजारों एनबीएफसी में से आप बड़ी और अधिक महत्त्वपूर्ण एनबीएफसी को अलग करने और उन पर पैनी नजर रखने में सक्षम होते हैं। पिछले एक दशक में आरबीआई ने बड़ी एनबीएफसी के लिए निगरानी को और भी सख्त कर दिया है। उम्मीद है कि इससे आरबीआई को इन एनबीएफसी के प्रदर्शन के बारे में अधिक आत्मविश्वास और अधिक दृश्यता मिलेगी और उन्हें एनबीएफसी को दी जाने वाली सुविधाओं को उदार बनाने में मदद मिलेगी ताकि एनबीएफसी अपनी देनदारियों में और अधिक विविधता ला सकें। यदि आरबीआई उच्च स्तर वाली एनबीएफसी को बैंकों की तरह सीधी सहायता प्रदान करता है तो इससे बाजार में भरोसा बढ़ेगा कि ये संस्थाएं दिवालिया नहीं होंगी क्योंकि उन्हें आरबीआई का समर्थन हासिल है। आज बैंकिंग लाइसेंस ‘ऑन टैप’ उपलब्ध हैं लेकिन व्यापारिक घराने बैंकिंग लाइसेंस नहीं ले सकते। उच्च स्तरीय एनबीएफसी इसके लिए यह बहुत अच्छा विकल्प है।

आरबीआई को बड़ी एनबीएफसी के लिए और क्या करना चाहिए?

हमारे जैसे संस्थानों के लिए जो 6 से 7 करोड़ ग्राहकों के साथ सक्रिय रूप से काम करते हैं, क्रेडिट कार्ड लाइसेंस देने पर विचार किया जा सकता है। इसके लिए बैंक जो भी सुरक्षा देते हैं, हम उसी तरह की संरचना बना सकते हैं।

First Published - March 23, 2025 | 9:54 PM IST

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