जून के महीने में चिपचिपी गर्मी से निजात पाने के लिए अगर आप एयर कंडीशनर (एसी) खरीदने की सोच रहे हैं तो आपको उसकी सुहानी ठंडक खासी महंगी पड़ सकती है क्योंकि इनके दामों में इजाफा हो रहा है।
दरअसल कच्चे तेल और इस्पात की कीमतों में हो रही लगातार बढ़ोतरी और महंगे इस्पात के कारण एसी और फ्रिज के दामों में अच्छी खासी बढ़ोतरी हो चुकी है। टिकाऊ उपभोक्ता यानी कंज्यूमर डयूरेबल्स क्षेत्र की लगभग सभी कंपनियों ने अपने उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी कर दी है। यह बढ़ोतरी केवल एसी या फ्रिज तक ही सीमित नहीं रही है, बल्कि टेलीविजन और वॉशिंग मशीन भी महंगी हो चुकी हैं।
इस क्षेत्र की प्रमुख कंपनी एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स के निदेशक (सेल्स और मार्केटिंग) वी रामचंद्रन ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘कंपनी ने फ्रिज, टेलीविजन और वॉशिंग मशीन की कीमतों में 4-6 फीसदी का इजाफा किया है। एसी की कीमतों में फिलहाल सिर्फ 2 फीसदी का ही इजाफा किया गया है।’ हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले महीने में एसी की कीमतें 5-6 फीसदी बढ़ सकती हैं।
कंपनी स्वीकार करती है कि कीमत बढ़ाने से बिक्री में कमी तो आएगी मगर रामचंद्रन के मुताबिक कच्चे माल की बढ़ती लागत का बोझ कंपनी अकेले नहीं सह सकती। इसी तरह गोदरेज एप्लायंसेज ने भी गर्मी के मौसम में इस्तेमाल होने वाले अपने उत्पादों की कीमत 3 फीसदी तक बढ़ा दी हैं। कंपनी के उपाध्यक्ष (सेल्स और मार्केटिंग) कमल नंदी ने कहा, ‘हर कोई जानता है कि कच्चे माल की कीमत में लगभग 10 फीसदी का इजाफा हुआ है।
इससे हमारी लागत बढ़ी है और मुनाफा कम हुआ है। इससे निपटने के लिए कीमतें बढ़ाना जरूरी हो गया था। हो सकता है कि जुलाई में कीमतों में 3-5 फीसदी का और इजाफा किया जाए।’ बाजार के सूत्रों के मुताबिक वीडियोकॉन और व्हर्लपूल आदि कंपनियों ने भी एसी और फ्रिज आदि की कीमतें बढ़ाई हैं। ये कीमतें पिछले एक-दो हफ्तों में ही बढ़ाई गई हैं। बिजनेस स्टैंडर्ड ने इन कंपनियों से भी बात करने की कोशिश की, लेकिन संपर्क नहीं हो सका।
कीमत बढ़ाने के मामले में सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स बाकी कंपनियों से अलग है। उसने अपने उत्पादों की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया है। कंपनी की कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन प्रमुख रुचिका बत्रा ने कहा, ‘हमने कीमतों में किसी भी तरह की बढ़ोतरी नहीं की। न ही जल्द कीमतों में इजाफा करने की हमारी कोई योजना नहीं है।’
महंगाई की मार के बाद मौसम ने भी बाजार के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। कमल नंदी का कहना है, ‘पिछले साल जून में उद्योग में लगभग 15 फीसदी की विकास दर थी। लेकिन मुझे नहीं लगता कि इस साल हम 15 फीसदी दर के आसपास भी पहुंच पाएंगे।’