आर्सेलरमित्तल उत्तम गैल्वा स्टील्स के लिए बोली लगा सकती है। उत्तम गैल्वा हाल ही में राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (एनसीएलटी) में गई है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा उत्तम गैल्वा के खिलाफ ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता की धारा 7 के अंतर्गत दायर याचिका को एनसीएलटी के मुंबई पीठ ने 1 अक्टूबर, 2020 को स्वीकार कर
लिया है। घटनाक्रम के जानकार सूत्रों ने बताया कि आर्सेलरमित्तल उत्तम गैल्वा के लिए बोली लगा सकती है। हालांकि आर्सेलरमित्तल ने इस बारे में कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया।
सूत्रों ने कहा कि एनसीएलटी में जाने से उत्तम गैल्वा के कर्ज का सही पता चलेगा। उस पर कोई छिपी देनदारी नहीं होगी। दुनिया बड़ी सबसे बड़ी स्टील विनिर्माता कंपनी आर्सेलरमित्तल ने एस्सार स्टील की बोली के लिए पात्रता हासिल करने की खातिर उत्तम गैल्वा के कर्ज का बड़ा हिस्सा अपने ऊपर ले लिया था।
उत्तम गैल्वा के ऑडिटरों की रिपोर्ट के अनुसार 31 मार्च, 2020 तक कंपनी के सुरक्षित वित्तीय लेनदारों को विदेशी मुद्रा ऋण खत्म करने के लिए आर्सेलरमित्तल लैक्जम्बर्ग ने 16.90 करोड़ डॉलर और आर्सेलरमित्तल इंडिया प्रा. लि. ने 4,922 करोड़ रुपये के कर्ज का भुगतान किया था।
हालांकि उत्तम गैल्वा ने बाकी बचे कर्ज के भुगतान में चूक की थी। 2019-20 की कंपनी की सालाना रिपोर्ट के अनुसार उत्तम गैल्वा ने 616.05 करोड़ रुपये मूलधन और 81.63 करोड़ रुपये के ब्याज भुगतान में चूक की है।
सालाना रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ऋणदाताओं की ओर से कंपनी को गैर-निष्पादित आस्तियां करार दिया गया है और एसबीआई ने 12 मार्च, 2020 को आईबीसी की धारा 7 के तहत एनसीएलटी की मुंबई पीठ के समक्ष कॉर्पोरेट ऋणशोधन अक्षमता समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) शुरू करने के लिए याचिका दायर की है। यह पहला मौका नहीं है जब एसबीआई ने उत्तम गैल्वा मामले में सीआईआरपी शुरू करने के लिए याचिका दायर की है। यह कंपनी भारतीय रिजर्व बैंक की गैर-निष्पादित आस्तियों की दूसरी सूची में शामिल थी और एसबीआई ने पहले भी इस तरह की याचिका दायर की थी।
हालांकि आर्सेलरमित्तल द्वारा उत्तम गैल्वा और केएसएस पेट्रोन का 7,469 करोड़ रुपये का बकाया चुकाने के बाद नवंबर 2018 में एसबीआई ने याचिका वापस ले ली थी।