राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने आज कहा कि थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) में बदलाव के आधार पर दवा विनिर्माताओं को 1 अप्रैल से आवश्यक दवाओं के दामों में 12.2 प्रतिशत तक वृद्धि करने की अनुमति दी गई है।
ये दवाएं वे होती हैं, जो आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (एनएलईएम) का हिस्सा होती हैं और इन्हें अनुसूचित दवाएं कहा जाता है। एनएलईएम में तकरीबन 870 आवश्यक दवाएं हैं।
एनपीपीए ने कहा कि दामों की इस अधिकतम सीमा में से 651 दवाओं की कीमतें निर्धारित कर दी गई हैं और इसके परिणामस्वरूप कीमतों में 16.62 प्रतिशत की कटौती हुई है। इसलिए कीमतों में 12.2 प्रतिशत की सकल वृद्धि की अनुमति प्रदान किए जाने के बाद, अब यह लगभग 6.73 प्रतिशत की प्रभावी मूल्य वृद्धि बैठती है।
पिछले साल एनपीपीए ने फार्मास्युटिकल उद्योग को दामों में करीब 19 प्रतिशत तक इजाफा करने की अनुमति प्रदान की थी।
फार्मास्युटिकल उद्योग की बाजार अनुसंधान फर्म प्रोंटो कंसल्ट के संस्थापक और प्रबंध भागीदार हरि नटराजन ने कहा डब्ल्यूपीआई दवाओं की कीमत में वृद्धि करते हुए उद्योग को लागत और अन्य चीजों में वृद्धि के मद्देनजर सहायता प्रदान कर सकता है। यह अब तक का सर्वाधिक डब्ल्यूपीआई है, पिछले साल यह लगभग 10 प्रतिशत था।
वर्ष 2016 में दवा कंपनियों ने अनुसूचित दवाओं की कीमतों में कमी की क्योंकि डब्ल्यूपीआई में वार्षिक परिवर्तन पिछली अवधि की तुलना में वर्ष 2015 में शून्य से 2.71 प्रतिशत कम था।