सत्यम के बाद अब विश्व बैंक ने विप्रो के अलावा एक और सॉफ्टवेयर कंपनी मेगासॉफ्ट पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।
साथ ही, दो अन्य भारतीय कंपनियों नेक्टर फार्मास्यूटिकल्स और गैप इंटरनेशनल के अलावा बैंक ने दिशा-निर्देशों के उल्लंघन के आरोप में सुरेंद्र सिंह नामक एक भारतीय के साथ कारोबार पर भी पाबंदी लगा दी है।
हालांकि विश्व बैंक की कार्रवाई के बारे में विप्रो के प्रवक्ता ने कहा कि विश्व बैंक की पाबंदी से कंपनी के कारोबार और परिचालन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। मेगासॉफ्ट के अधिकारियों का भी कुछ ऐसा ही कहना है।
गौरतलब है कि 23 दिसंबर को विश्व बैंक ने सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज पर भी आठ साल के लिए पाबंदी लगाने की घोषणा की थी। सत्यम पर कर्मचारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने और जरूरी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराने का आरोप था।
पाबंदी का कितना असर?
विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय आईटी कंपनियों के बड़े ग्राहकों में विश्व बैंक शुमार है। ऐसे में पाबंदी से जहां कंपनियों के राजस्व पर असर पड़ने की आशंका है, वहीं भारतीय आईटी कंपनियों की साख पर भी असर पड़ सकता है।
वैसे भी सत्यम फर्जीवाड़े के खुलासे से देसी आईटी कंपनियों को विदेशों में ग्राहक तलाशने में मशक्कत करनी पड़ सकती है। हालांकि विप्रो और मेगासॉफ्ट का कहना है कि इस पाबंदी से कंपनी के कारोबार और आय पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
सत्यम के बाद विश्व बैंक ने लगाईं कुछ और पाबंदियां
नई सूची में शामिल हैं पांच भारतीय नाम