उद्योग दिग्गज एवं महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने उन भारतीय नवप्रर्वतकों के लिए जिंदगी सरल बनाए जाने की हिमायत की जो ‘दिग्गज और संभावित यूनिकॉर्न’ हैं। चौथे सालाना अटल बिहारी वाजपेयी व्याख्यान में बोलते हुए महिंद्रा ने कहा कि उनकी चिंताओं को समझने के लिए उन्होंने लगभग सभी स्टार्टअप से बात की है।
उन्होंने कहा, ‘सरकार निवेशकों के लिए व्यवसाय करने की प्रक्रिया आसान बनाने के लिए काम कर रही है। हमारे उन नवप्रर्वतकों के लिए जिंदगी कैसे आसान बनाई जाए तो भविष्य के दिग्गज और संभावित यूनिकॉर्न हैं? हमें जरूरत है कि नियामकों को टास्कमास्टर के बजाय भागीदारों और प्रस्तावकों के तौर पर काम करना चाहिए। हमें उभरते भारत के लिए भारी मात्रा में नवाचार को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है और रास्ते में जितनी कम बाधाएं होंगी, उतना बेहतर होगा।’
भारत शोध एवं विकास पर दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में अपनी जीडीपी का 1 प्रतिशत से कम खर्च करता है। वहीं अमेरिका और चीन जैसे देश इस पर 2 प्रतिशत से ज्यादा खर्च करते हैं। उनका यह भी मानना है कि सरकार ने शोध को बढ़ावा दिया है और उद्योग एवं समाज पर इसका असर दिखा है।
उदाहरण के लिए, अपनी अवधारणा के समय इंटरनेट अमेरिका सरकार द्वारा वित्त पोषित परियोजना थी। उन्होंने कहा, ‘उच्च शिक्षा और अनुसंधान के हमारे संस्थान ऐसे मौलिक नवाचार पैदा करने के लिए अधिक सरकारी फंडिंग के साथ काम कर सकते हैं जिनका अंततः व्यावसायीकरण किया जा सकता है।’