facebookmetapixel
देशभर में मतदाता सूची का व्यापक निरीक्षण, अवैध मतदाताओं पर नकेल; SIR जल्द शुरूभारत में AI क्रांति! Reliance-Meta ₹855 करोड़ के साथ बनाएंगे नई टेक कंपनीअमेरिका ने रोका Rosneft और Lukoil, लेकिन भारत को रूस का तेल मिलना जारी!IFSCA ने फंड प्रबंधकों को गिफ्ट सिटी से यूनिट जारी करने की अनुमति देने का रखा प्रस्तावUS टैरिफ के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत, IMF का पूर्वानुमान 6.6%बैंकिंग सिस्टम में नकदी की तंगी, आरबीआई ने भरी 30,750 करोड़ की कमी1 नवंबर से जीएसटी पंजीकरण होगा आसान, तीन दिन में मिलेगी मंजूरीICAI जल्द जारी करेगा नेटवर्किंग दिशानिर्देश, एमडीपी पहल में नेतृत्व का वादाJio Platforms का मूल्यांकन 148 अरब डॉलर तक, शेयर बाजार में होगी सूचीबद्धताIKEA India पुणे में फैलाएगी पंख, 38 लाख रुपये मासिक किराये पर स्टोर

एएम/एनएस इंडिया की पहली स्क्रैप इकाई चालू

‘स्क्रैप की मांग साल 2030 से 2035 तक लगभग पांच करोड़ टन होने की उम्मीद है और स्क्रैप उत्पादन करीब चार करोड़ टन होने की उम्मीद है।’

Last Updated- March 27, 2025 | 11:29 PM IST
ArcelorMittal

आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया (एएम/एनएस इंडिया) ने अपनी पहली स्क्रैप प्रोसेसिंग इकाई शुरू कर दी है। कंपनी अब अपने स्टील उत्पादन के लिए अधिक गुणवत्ता वाले स्क्रैप की बढ़ती मांग पूरी करने और घरेलू आपूर्ति श्रृंखला की मजबूती के लिए कम से कम तीन और इकाइयां लगाने की योजना बना रही है।

दुनिया भर में स्टील विनिर्माताओं के लिए कार्बन घटाने की दिशा में स्क्रैप की खास भूमिका है। वैश्विक इस्पात विनिर्माताओं – आर्सेलरमित्तल और निप्पॉन स्टील के संयुक्त उद्यम ने साल 2030 तक इस्पात विनिर्माण क्षमता में स्क्रैप मिश्रण का हिस्सा आज के 3 से 5 प्रतिशत की तुलना में बढ़ाकर 10 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है।

यह साल 2024 में उसकी पहली जलवायु कार्रवाई रिपोर्ट में कार्बन कम करने की कार्य योजना का हिस्सा है। अपनी खुद की इकइयों में स्क्रैप की प्रोसेसिंग करने से एएम/एनएस इंडिया रूपांतरण और लॉजिस्टिक लागत कम करते हुए सामग्री की गुणवत्ता और उत्पादन बढ़ाने की उम्मीद कर रही है। उन्हें लगता है कि इससे स्क्रैप उद्योग को भी औपचारिक रूप मिलेगा। प्रोसेसिंग इकाइयों में करीब 350 करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद है।

एएम/एनएस इंडिया में डाउनस्ट्रीम परिचालन के कार्यकारी निदेशक अक्षय गुजराल ने कहा कि अनुमानों के अनुसार भारत में मुख्य रूप से स्क्रैप की कमी रहेगी। उन्होंने कहा, ‘स्क्रैप की मांग साल 2030 से 2035 तक लगभग पांच करोड़ टन होने की उम्मीद है और स्क्रैप उत्पादन करीब चार करोड़ टन होने की उम्मीद है।’ कैलेंडर वर्ष 24 के दौरान भारत में स्क्रैप की मांग 3.9 करोड़ टन थी।

First Published - March 27, 2025 | 11:08 PM IST

संबंधित पोस्ट