सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया द्वारा दायर याचिकाओं पर अपना आदेश आरक्षित रखा। इन याचिकाओं में दूरसंचार विभाग (डीओटी) द्वारा समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) मांग में गलतियों को दूर करने की मांग की गई थी।
न्यायालय ने पाया था कि वह न सिर्फ एक बार, बल्कि दो-तीन बार यह कह चुका है कि एजीआर मांग की पुनर्गणना नहीं की जा सकती।
वोडाफोन आइडिया के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि एजीआर के आंकड़े निश्चित नहीं थे और सर्वोच्च न्यायालय को आंकड़ा संबंधित त्रुटि को ठीक करने का अधिकार है। अधिवक्ता ने तर्क पेश किया कि ये गणनाएं डीओटी के समक्ष रखी जानी होंगी और विभाग को इस बारे में निर्णय लेना चाहिए।
कंपनी ने सर्वोच्च न्यायालय को 58,400 करोड़ रुपये के एजीआर बकाया और 1.8 लाख करोड़ रुपये के कर्ज की वजह से अपनी कमजोर वित्तीय स्थिति के बारे में भी अवगत कराया।
महाधिवक्ता तुषार मेहता ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि उन्हें त्रुटियों के समाधान की अनुमति के संबंध में दूरसंचार विभाग से कोई निर्देश नहीं मिला है।
भारती एयरटेल के अधिवक्ता ने कहा कि भुगतान के दोहराव के मामले सामने आए थे और किया गया भुगतान एजीआर बकाया की गणना में शामिल नहीं था। कुछ खास स्वीकार्य कटौती की अनुमति नहीं दी गई थी।
कंपनी ने कहा कि वह इन समस्याओं, त्रुटियों को डीओटी द्वारा विचार किए जाने की मांग कर रही थी।
टाटा टेलीसर्विसेज का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय का फैसला सिर्फ पुनर्मूल्यांकन पर रोक लगाता है और गणना संबंधित त्रुटियों के सुधार को नहीं रोकता है।
1 सितंबर, 2020 को सर्वोच्च न्यायालय ने कंपनी को 10 साल की अवधि के दौरान किस्तों में बकाया एजीआर चुकाने की अनुमति दी थी और इसकी शुरुआत कुल बकाया के 10 प्रतिशत अग्रिम भुगतान के साथ करने को कहा था।
भुगतान की समय-सीमा 1 अप्रैल, 2021 से शुरू हुई है।
सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि स्पेक्ट्रम की बिक्री का निर्णय आईबीसी प्रक्रिया के तहत राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (एनसीएलटी) द्वारा लिया जाना चाहिए।
अक्टूबर 2019 में सर्वोच्च न्यायालय ने दूरसंचार कंपनियों के सरकारी बकाया (लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम इस्तेमाल शुल्क समेत) की गणना के लिए एजीआर मुद्दे पर निर्णय सुनाया था।
फैसले की समीक्षा की मांग के लिए वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल और टाटा टेलीसर्विसेज द्वारा दायर याचिकाओं को शीर्ष अदालत द्वारा ठुकराए जाने के बाद, दूरसंचार विभाग ने 20 वर्षों के लिए भुगतान टाले जाने के लिए मार्च में याचिका दायर की थी।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एजीआर की परिभाषा तय किए जाने के बाद दूरसंचार विभाग ने दूरसंचार कंपनियों के लिए बकाया एजीआर बढ़ा दिया था।