भारती एयरटेल ने मंगलवार को सबको हैरान करते हुए घोषणा की कि कंपनी ने ईलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के साथ एक समझौता किया है। इस समझौते के तहत, भारत में एयरटेल के ग्राहकों को स्टारलिंक की तेज रफ्तार वाली इंटरनेट सेवाएं मिलेंगी। अगर स्पेसएक्स को भारत में स्टारलिंक बेचने की अनुमति मिल जाती है तब एयरटेल अपने रिटेल स्टोरों पर स्टारलिंक उपकरण की पेशकश करेगी और साथ ही एयरटेल के जरिये कारोबारी ग्राहकों को स्टारलिंक सेवाएं दी जाएंगी।
एयरटेल ने कहा कि दोनों कंपनियां मिलकर भारत के दूरदराज के गांवों में स्कूलों, स्वास्थ्य केंद्रों और समुदायों को जोड़ने के अवसरों की संभावनाएं तलाशेंगी। कंपनी ने जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ‘एयरटेल और स्पेसएक्स यह संभावनाएं भी तलाशेंगी कि स्टारलिंक, एयरटेल नेटवर्क का विस्तार करने के साथ ही इसे कैसे बेहतर बनाने में मददगार हो सकती है और स्पेसएक्स एयरटेल के जमीनी नेटवर्क के बुनियादी ढांचे और अन्य क्षमताओं का कैसे उपयोग कर सकती है।’
स्टारलिंक स्पेसएक्स द्वारा संचालित 7000 से अधिक लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) सैटेलाइट के माध्यम से 100 से अधिक देशों में सैटेलाइट संचार (सैटकॉम) सेवाएं देती है। स्पेसएक्स अमेरिका के तकनीकी अरबपति ईलॉन मस्क की कंपनी है जो अंतरिक्ष यान बनाती है।
एयरटेल के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘यह स्टारलिंक के उत्पादों की मार्केटिंग करने के लिए पूरी तरह से कारोबारी निर्णय है। सैटेलाइट संचार में बड़ी संभावनाएं हैं और हम सभी आवश्यक अनुमति लेने के बाद अपने रिटेल स्टोर में स्टारलिंक और वनवेब दोनों की पेशकश करेंगे।’ वर्ष 2023 से ही भारती एंटरप्राइजेज, सैटेलाइट संचालक यूटेलसैट वनवेब में 21.2 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ सबसे बड़ी शेयरधारक है।
स्टारलिंक ने नवंबर 2022 में ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट (जीएमपीसीएस) सेवा लाइसेंस के लिए आवेदन दिया था और 2021 में भारत में प्री-बुकिंग चैनल खोले थे।
दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने पहले ही यूटेलसैट वनवेब और रिलायंस जियो की सैटेलाइट इकाई, जियो स्पेस लिमिटेड को सैटेलाइट आधारित ब्रॉडबैंड सेवाएं देने के लिए आवश्यक जीएमपीसीएस लाइसेंस दे दिया है।
अब तक, भारती एयरटेल और रिलायंस जियो के मूल समूह,अमेरिका के तकनीकी क्षेत्र के अरबपति ईलॉन मस्क के स्टारलिंक और एमेजॉन की सहयोगी इकाई प्रोजेक्ट कुइपर जैसी विदेशी सैटकॉम कंपनियों के बाजार में प्रवेश करने के खिलाफ रहे हैं।
पिछले साल, भारती एंटरप्राइजेज के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल ने सरकार से आग्रह किया था कि सभी सैटकॉम कंपनियां, पारंपरिक दूरसंचार परिचालकों की तरह ही समान कानूनी शर्तों का पालन करें जिसमें लाइसेंस शुल्क का भुगतान और स्पेक्ट्रम खरीदना शामिल है। लेकिन पिछले हफ्ते, मित्तल ने मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस में दूरसंचार परिचालकों से सैटकॉम कंपनियों के साथ साझेदारी की अपील की।
स्टारलिंक की जीएमपीसीएस आवेदन प्रक्रिया कुछ प्रावधानों से छूट की लंबी सूची के कारण थोड़ी लंबी खिंच गई है जिसमें कंपनी ने भारत में संचालन के लिए तकनीकी सीमाओं का हवाला दिया है। कंपनी उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग द्वारा रखी गई अनिवार्य स्वामित्व खुलासा के मानदंडों का पालन करने में सफल नहीं रही।