एयर इंडिया के कर्मचारियों को मुंबई में उनके स्टाफ कॉलोनियों से बेदखल किए जाने के प्रस्ताव के खिलाफ यूनियन ने बंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है।
यूनियन का कहना है कि विमानन कंपनी के पत्र में कर्मचारियों से कहा गया है कि वे 26 जुलाई तक आवंटित आवास खाली कर दें जो सेवा शर्तों में बदलाव है और यह औद्योगिक विवाद अधिनियम का उल्लंघन है। कंपनी को सेवा शर्तों में बदलाव करने से पहले यूनियन के सदस्यों से संपर्क करने की आवश्यकता होती है।
प्रबंधन की इस कार्रवाई से परेशान होकर एविएशन इंडस्ट्री एम्प्लॉइज गिल्ड, एयर कॉरपोरेशन एम्प्लॉइज यूनियन और ऑल इंडिया सर्विस इंजीनियर्स एसोसिएशन ने अलग-अलग रिट याचिका दायर कर विमानन कंपनी की ओर से अक्टूबर और मई में कर्मचारियों को जारी पत्रों को खारिज करने की मांग की है।
फिलहाल मुंबई के कलिना में एयर इंडिया स्टाफ क्वार्टर में करीब 1,600 परिवार रह रहे हैं।
एविएशन इंडस्ट्री एम्प्लॉइज गिल्ड ने अपनी याचिका में कहा है, ‘एयर इंडिया आवंटन नियमों के तहत कर्मचारियों को इन आवासों का आवंटन सेवानिवृत्ति अथवा सेवा की समाप्ति तक किया जाता है। इसलिए कंपनी की ओर से की गई यह कार्रवाई एकतरफा और मनमानी है।’ सेवारत इंजीनियरों ने भी कहा है कि विमानन कंपनी ने मध्यस्थता प्रक्रिया के निपटने से पहले इन फ्लैटों को खाली करने के लिए कोई नोटिस जारी नहीं कर सकती है। मध्यस्थता प्रक्रिया का फिलहाल कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। सितंबर में नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने कर्मचारियों को दिए गए आवास की सुविधा को बरकरार रखने के लिए एयर इंडिया को कुछ निर्देश जारी किए थे। उस पर एयर इंडिया ने एक कर्मचारी को छह महीने के भीतर मकान खाली कर देने के वादे के साथ अंडरटेकिंग देने के लिए कहा था।
