नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने बुधवार को टाटा समूह की विमानन कंपनी एयर इंडिया को चार कारण बताओ नोटिस जारी किए। विमानन नियामक ने एयर इंडिया पर चालक दल की तैनाती, प्रशिक्षण में चूक, चालक दल के सदस्यों के आराम संबंधी नियमों और परिचालन संबंधी निरीक्षण के बार-बार उल्लंघन के कारण उड़ानों की सुरक्षा से समझौता करने का आरोप लगाया है।
नोटिस में गंभीर सुरक्षा उल्लंघन का जिक्र किया गया है, जिसमें अनिवार्य संख्या से कम चालक दल के सदस्यों के साथ ‘अल्ट्रा लॉन्ग हॉल’ उड़ानों के परिचालन, योग्यता प्रमाण पत्र की अवधि पूरी कर चुके कर्मचारियों की तैनाती, आवश्यक सिम्युलेटर प्रशिक्षण समयसीमा का पालन नहीं होने और चालक दल की ड्यूटी तथा विश्राम नियमों का उल्लंघन शामिल हैं।
नियामक ने इसके लिए कंपनी के कई वरिष्ठ अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है कि और यह भी पूछा है कि उसके खिलाफ कार्रवाई शुरू क्यों करनी चाहिए। 12 जून को एयर इंडिया की अहमदाबाद से लंदन जा रही उड़ान संख्या एआई171 के दुर्घटनाग्रस्त होने के कुछ हफ्ते बाद कार्रवाई की गई है। हादसे में 260 लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद नियामक ने विमानन कंपनी की सुरक्षा प्रक्रिया की जांच तेज कर दी थी। इनमें से एक नोटिस एयर इंडिया द्वारा 21 जून को स्वयं किए गए खुलासे पर जारी किया गया है, जिसमें उसने बताया था कि अल्ट्रा लॉन्ग उड़ानों में चालक दल के कम से कम 15 सदस्य होने ही चाहिए मगर उसने अप्रैल और मई में इससे कम सदस्यों के साथ ये उड़ानें संचालित की थीं।
27 अप्रैल को उसकी उड़ान संख्या एआई 126 में सिर्फ 12 और एआई188 में सिर्फ 14 चालक दल सदस्य थे। 28 अप्रैल को उड़ान संख्या एआई190 में 14 और 2 मई को एआई126 में 12 सदस्य ही थे। इस तरह चालक दल के सदस्यों को थकान से बचाने के नियमों का उल्लंघन हुआ, जिसे गंभीर उल्लंघन बताते हुए डीजीसीए ने विमानन कंपनी के निदेशक (केबिन सुरक्षा) को जिम्मेदार ठहराया है। डीजीसीए ने पहले नोटिस में कहा, ‘इस तरह नियमों का पालन नहीं किया जाना नियामकीय जरूरतों का गंभीर उल्लंघन है और आपके संगठन में सुरक्षा प्रबंधन तथा परिचालन निरीक्षण पर लापरवाही की चिंता बढ़ाता है।’
दूसरा नोटिस 21 जून के खुलासे पर जारी किया गया है। इसमें तीन अलग-अलग नियम उल्लंघन हुए थे, जब चालक दल के सदस्य वैध योग्यता कार्ड के बगैर ही उड़ानों में थे। एक सदस्य ने सर्टिफिकेट की अवधि खत्म होने के बाद 10 और 11 अप्रैल को उड़ान भरी और ऐसी ही स्थिति में एक अन्य सदस्य फरवरी से मई के बीच कई उड़ानों में गया। चालक दल के तीसरे सदस्य ने पिछले साल 1 दिसंबर को आपातकालीन स्लाइड तैनात करने के बाद उड़ान संभाली, जबकि नियमानुसार उसे योग्यता प्रक्रिया से दोबारा गुजरना चाहिए था। नियामक ने इसके लिए सुरक्षा और प्रशिक्षण प्रबंधन के प्रमुख को जिम्मेदार ठहराया है।
नोटिसों के बारे में पूछे जाने पर एयर इंडिया के प्रवक्ता ने कहा, ‘हमें नियामक से ये नोटिस मिले हैं, जो पिछले एक साल में एयर इंडिया द्वारा खुद किए गए खुलासों से जुड़े हैं। हम तय समय में इन नोटिस का जवाब देंगे। हम अपने चालक दल के सदस्यों और यात्रियों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।’
डीजीसीए द्वारा एयर इंडिया को भेजे गए तीसरे नोटिस में पायलटों से जुड़े प्रशिक्षण में 19 चूकों के उदाहरण दिए गए हैं। इनमें सिम्युलेटर प्रशिक्षण और रिलीज चेक के बीच 114 दिनों के अंतर, जरूरी सत्रों को पूरा करने से पहले पायलटों को छोड़ने और रात के परिचालन की मंजूरी के उल्लंघन के कई मामले शामिल हैं। इन सभी चूक के लिए प्रशिक्षण निदेशक को प्रशिक्षण निरीक्षण तंत्र के साथ अनुपालन सुनिश्चित करने में विफल रहने का जिम्मेदार ठहराया गया है।
चौथा नोटिस 20 जून को कंपनी द्वारा किए गए खुलासे पर आधारित है, जिसमें उसने बताया था कि चालक दल के सदस्यों की ड्यूटी और आराम की जरूरत के नियमों का तीन बार उल्लंघन हुआ। दो उल्लंघन 24 जून, 2024 और एक उल्लंघन 13 जून, 2025 को हुआ था। कंपनी को भेजे गए इस नोटिस में कहा गया है, ‘पहले भी पालन नहीं होने पर बार-बार चेतावनी दिए जाने के बावजूद अनुपालन निगरानी, चालक दल के सदस्यों की योजना और प्रशिक्षण शासन से संबंधित समस्याएं दूर नहीं की गईं।’ उड़ान संचालन के निदेशक पंकुल माथुर को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।
चारों मामलों में विमानन नियामक डीजीसीए ने विमानन कंपनी को जवाब देने के लिए 14 से 15 दिन दिए हैं। तय समय में जवाब नहीं आए तो उपलब्ध सबूतों के आधार पर कार्रवाई करने की बात नियामक ने कही है।