facebookmetapixel
भारतीय मिशन की सुरक्षा पर चिंता, भारत ने बांग्लादेशी उच्चायुक्त को तलब कियादिल्ली चुनाव में सोशल मीडिया पर कांग्रेस का खर्च भाजपा से ज्यादा, जीत फिर भी दूर: एडीआरचार घंटे चली चर्चा के बाद संसदीय समिति को इंडिगो के जवाब से संतोष नहीं, उड़ान रद्द होने पर जांच जारीRBI के नए नियमों से ऐक्सिस फाइनैंस में पूंजी निवेश का रास्ता खुला: अमिताभ चौधरीतीन क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक मार्च तक अपने IPO मसौदे जमा करेंगे, सरकार ने दिए दिशानिर्देशनैशनल हेराल्ड मामले में अदालत के संज्ञान न लेने के बाद खरगे बोले: PM अपने पद से दें इस्तीफाविदेश मंत्री एस. जयशंकर ने नेतन्याहू से की मुलाकात, भारत-इजराइल साझेदारी को नई मजबूतीप्रधानमंत्री मोदी को मिला इथियोपिया का सर्वोच्च सम्मान, भारत-अफ्रीका रिश्तों में नया अध्यायAI के दौर में भी दुनिया भर में मानवीय अनुवाद सेवाओं की मांग में जबरदस्त उछालSEBI ने बदला म्यूचुअल फंड खर्च का खेल, निवेशकों को राहत और AMC को संतुलन

विदेश में अ​धिग्रह​ण रफ्तार सुस्त

Last Updated- December 11, 2022 | 5:53 PM IST

भारतीय कंपनियों ने करीब 100 अरब डॉलर के अधिग्रहण सौदे कर चालू वित्त वर्ष की जून तिमाही में अच्छी शुरुआत की है। इसके बावजूद चालू वित्त वर्ष की शेष अवधि में भारतीय कंपनियों के विदेश में अधिग्रहण की रफ्तार सुस्त पड़ने के आसार हैं। इसकी वजह अमेरिका में मंदी की चिंताएं और विदेश में धन जुटाने में दिक्कतें हैं। लेकिन बैंक अधिकारियों ने कहा कि शीर्ष भारतीय कंपनियां आकर्षक मौके उपलब्ध होने से भारत में कंपनियों का अ​धिग्रहण जारी रखेंगी।

इस समाचार-पत्र द्वारा जुटाए गए आंकड़ों से पता चलता है कि भारतीय कंपनियों ने जून तिमाही में 100 अरब डॉलर मूल्य के 807 सौदे किए, जो पिछले वित्त वर्ष की जून तिमाही में हुए 30.3 अरब डॉलर मूल्य के 641 सौदों से तिगुने हैं। ये सौदे पिछले साल की जून तिमाही से 40 फीसदी अधिक होते, ले​किन इस साल अप्रैल में एचडीएफसी बैंक और हाउसिंग फाइनैंस कंपनी एचडीएफसी के बीच 57 अरब डॉलर के विलय से अधिग्रहण गतिविधि में इजाफा हुआ है। इस साल मई में अदाणी परिवार द्वारा भारत में होल्सिम की कंपनियों- अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी का 10.5 अरब डॉलर में अधिग्रहण किए जाने से भी विलय एवं अधिग्रहण की गतिविधियों में बढ़ोतरी हुई है।

बजाज समूह के पूर्व समूह वित्त निदेशक प्रबल बनर्जी ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि भारत की बड़ी कंपनियों को धन जुटाने में कोई दिक्कत आएगी। अगर अमेरिका में मंदी भी आती है तो स्थानीय कंपनियों को फायदा मिलेगा क्योंकि अमेरिका से पूंजी की आवक होगी। यह पूंजी मुख्य रूप से भारत आएगी और निश्चित रूप से बदले भू-राजनी​तिक हालात के कारण चीन और रूस में  नहीं जाएगी।’

हाल में अमेरिका की दिग्गज खुदरा कंपनी वालग्रीन बूट्स अलायंस (डब्ल्यूबीए) ने यूरोप में अपनी फार्मेसी खुदरा इकाई बूट्स यूके की बिक्री टाल दी, जिसने अपने इस कदम के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बड़े बदलाव को जिम्मेदार बताया है। कंपनी ने कहा कि बाजार की अस्थिरता से वित्तीय उपलब्धता पर गंभीर असर पड़ रहा है। ऐसे में कोई भी थर्ड पार्टी ऐसी पेशकश करने में सक्षम नहीं थी, जो बूट्स और नंबर7 ब्यूटी कंपनी के लिए ऊंची संभावित कीमत को दर्शाए।

वालग्रीन ने एक बयान में कहा, ‘इसके नतीजतन डब्ल्यूबीए ने शेयरधारकों के हित में दोनों कारोबारों की वृद्धि‍ और लाभ पर अपना पूरा ध्यान बनाए रखने का फैसला​ किया है।’ बूट्स यूके के​ लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज और दिग्गज निजी इक्विटी कंपनी अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट ने बोली लगाई थी।

विशेषज्ञों ने कहा कि विदेशी अधिग्रहम मुश्किल हो गए हैं, इसलिए दुनिया भर में सबसे अधिक वृद्धि‍ वाला बाजार होने से भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) आने लगेगा।

उन्होंने कहा, ‘भारतीय कंपनियों द्व‍ारा किए जाने वाले विलय एवं अधिग्रहण में तेजी बनी रहेगी क्योंकि इनके लिए अच्छे मौके हैं और धन की उपलब्धता भी पर्याप्त है।’
बैंक अ​धिकारियों ने कहा कि कुछ बड़ी कंपनियां भारत में अधिग्रहण के मौकों का अध्ययन कर रही हैं। जेएसडब्ल्यू समूह मित्रा एनर्जी के बारे में जांच-पड़ताल कर रहा है और वह अगले दो महीनों में कोई फैसला ले सकता है। खनिज क्षेत्र की दिग्गज कंपनी एनएमडीसी भी छत्तीसगढ़ में अपने इस्पात संयंत्र को 4 अरब डॉलर की कीमत पर बेचने की योजना बना रही है, जिसके लिए भारत की शीर्ष इस्पात कंपनियां बोली लगा सकती हैं। मेट्रो कैश ऐंड कैरी की बिक्री की घोषणा भी जल्द होने के आसार हैं।

First Published - July 1, 2022 | 12:36 AM IST

संबंधित पोस्ट