आगामी स्पेक्ट्रम नीलामी के दौरान दिल्ली और मुंबई जैसे कुछ प्रमुख सर्किलों में 3300 से 3600 बैंड में स्पेक्ट्रम की कीमतें भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा सुझाए गए आधार मूल्य से अधिक हो सकती हैं। प्रति ऑपरेटर स्पेक्ट्रम की सीमा अधिक होने से इस सर्किल में संभावित तगड़ी प्रतिस्पर्धा से कीमतें बढऩे के आसार हैं। यदि दो ऑपरेटर निर्धारित सीमा तक स्पेक्ट्रम खरीदते हैं तो तीसरे ऑपरेटर को 5जी के लिए पर्याप्त स्पेक्ट्रम से वंचित रहना पड़ेगा जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
कुछ दूरसंचार ऑपरेटरों ने इस संबंध में नियामक के समक्ष अपनी चिंता जाहिर की है। उनका कहना है कि स्पेक्ट्रम के लिए प्रति ऑपरेटर प्रति सर्किल 40 फीसदी सीमा निर्धारित किए जाने से यह सुनिश्चित होता है कि एक ऑपरेटर 3300 से 3600 बैंड में 150 मेगाहट्र्ज तक स्पेक्ट्रम खरीद सकता है।
देश में 5जी सेवाओं के लिए एक कुशल नेटवर्क के संचालन के लिए न्यूनतम 100 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम की आवश्यकता होगी। ऐसे में यदि दो ऑपरेटर निर्धारित सीमा तक स्पेक्ट्रम खरीदते हैं तो तीसरे ऑपरेटर को 5जी के लिए पर्याप्त स्पेक्ट्रम से वंचित रहना पड़ेगा। इससे उन प्रमुख सर्किल में ऑपरेटरों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी जहां अधिकांश 5जी राजस्व हासिल होने की उम्मीद है। अधिक से अधिक स्पेक्ट्रम हासिल करने की होड़ के कारण कीमतें आधार मूल्य से कहीं ऊपर पहुंच सकती हैं। हालांकि दूरसंचार विभाग की समिति ट्राई की सिफारिशों के विभिन्न पहलुओं पर गौर कर रही है लेकिन दूरसंचार कंपनियों का कहना है कि इस संबंध में समिति के पास सीमित विकल्प उपलब्ध हैं।
एक दूरसंचार कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इसका मूख्य उद्देश्य स्पेक्ट्रक की नीलामी करना है न कि एक प्रशासकीय मूल्य पर स्पेक्ट्रक आवंटित करना। यदि सीमा को घटाकर 30 कर दिया जाए तो नीलामी की कोई जरूर नहीं होगी। ऐसे में आप बिना नीलामी के तीनों ऑपरेटरों को स्पेक्ट्रम आवंटित कर सकते हैं। लेकिन ऐस नहीं किया जा सकता है क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया है कि स्पेक्ट्रम का आवंटन प्रतिस्पर्धी नीलामी के आधार पर ही किया जाना है।’
दूरसंचार ऑपरेटरों ने चिंता जताई है कि दिल्ली, मुंबई, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे प्रमुख सर्किल में तगड़ी प्रतिस्पर्धा दिखेगी। कुछ लोगों का कहना है कि स्पेक्ट्रम की अधिक उपलब्धता से ऑपरेटर अपने दम पर उच्च गुणवत्ता वाली 5जी सेवाओं की पेशकश कर सकता है। उदाहरण के लिए, रिलायंस जियो ऐसी पेशकश की योजना बना रही है।
वोडाफोन आइडिया ने दूरसंचार नियामक को लिखे अपने पत्र में कहा है कि प्रत्येक ऑपरेटर के लिए 100 मेगाहट्र्ज की सीमा निर्धारित की जानी चाहिए ताकि निजी क्षेत्र के तीन और एक सरकारी दूरसंचार कंपनी को उनकी मांग के अनुसार स्पेक्ट्रम का आवंटन हो सके। ऐसे में मांग के अनुरूप आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी। भारती एयरटेल ने अपने सुझाव में कहा था कि 100 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम में तीनों ऑपरेटरों के लिए सीमा 35 फीसदी निर्धारित की जानी चाहिए। जबकि रिलायंस जियो ने 50 फीसदी सीमा की मांग की है। दूरसंचार विभाग ट्राई की विभिन्न सिफारिशों पर भी गौर कर रहा है।
