दुनिया भर के उम्दा खिलाड़ियों का मेला इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) कंपनियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की इस सबसे बड़ी घरेलू क्रिकेट प्रतियोगिता के नाम से ही एक के बाद एक प्रायोजक जुड़ते जा रहे हैं।
डीएलएफ तो पहले ही इस प्रतियोगिता की मुख्य प्रायोजक बन चुकी है, 3 और कंपनियां भारी भरकम रकम देकर प्रायोजक बनने के लिए अर्जी लगा चुकी हैं।
बोर्ड की खेल मार्केटिंग साझीदार वर्ल्ड स्पोर्ट ग्रुप इंडिया(डब्ल्यूएसजी) इस सिलसिले में बैंकिंग, पेट्रोलियम और विमानन क्षेत्र की एक-एक कंपनी से बात कर रही है।
तीनों कंपनियां 800 करोड़ रुपये प्रायोजन अधिकार सौदे में शामिल होंगी। उन्हें ग्राउंड पर अपने विज्ञापन करने का अधिकार मिलेगा, जो संभवत: 5 साल के लिए होगा।
क्रिकेट दीवाने देश भारत में हरेक गेंद पर लाखों दिलों की धड़कन घटती या बढ़ती रहती है। आईपीएल इसके लिए जबर्दस्त मंच होगा। इसी का ख्याल कर कंपनियां इस टूर्नामेंट के लिए पैसे बहा रही हैं।
डीएलएफ ने प्रायोजन अधिकार पाने के लिए 200 करोड़ रुपये खर्च किए। सह प्रायोजक के तौर पर हीरो होंडा बोर्ड को 85 करोड़ से भी ज्यादा रकम दे चुका है।
डब्ल्यूएसजी के दक्षिण एशिया क्षेत्र के अध्यक्ष वेणु नायर बताते हैं कि कंपनियां अब भी प्रायोजक बनने के लिए लगातार संपर्क कर रही हैं।
उन्होंने बताया, ‘फिलहाल तीन कंपनियों से हमारी बात चल रही है। ग्राउंड पर विज्ञापन के जरिये प्रायोजक पूरे मैच में लोगों की निगाह के सामने रहेंगे।
यह टीवी पर आने वाले कुछ लम्हों के विज्ञापन की तरह नहीं होगा, जो पर्दे पर कौंधते हैं और गायब हो जाते हैं।
हम तो प्रायोजकों को यह भी बता सकते हैं कि मैच के दौरान किस जगह उनके विज्ञापन कितनी देर तक दर्शकों को दिखेंगे।’
डब्ल्यूएसजी के एक अध्ययन के मुताबिक औसतन एक क्रिकेट मैच को 5 से 6 टीआरपी अंक मिलते हैं। डीएलएफ के अलावा आईपीएल के लिए