मध्य प्रदेश और हरियाणा में इस साल खरीद के लक्ष्य में संशोधन होने की संभावना है, जो गेहूं खरीद वाले बड़े राज्य हैं। इसकी वजह यह है कि किसानों को निजी खरीदारों से बेहतर कीमत मिल रही है। मार्च में हुई बारिश का भी फसल पर असर पड़ा है। ऐसे में अब सबकी नजर वित्त वर्ष 24 में केंद्रीय पूल में 3.42 करोड़ टन गेहूं की खरीद के केंद्र के लक्ष्य पर है।
हालांकि गेहूं की खरीद की शुरुआती सुस्ती के बाद पिछले कुछ दिन में खरीद में तेजी आई है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक पिछले सप्ताह तक सरकार ने चल रहे विपणन वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) के दौरान 111 लाख टन गेहूं खरीदा है, जो एक साल पहले के 99 लाख टन की तुलना में 12.12 प्रतिशत ज्यादा है।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई से कहा‘गेहूं की खरीद का काम सुचारु ढंग से चल रहा है।’ अधिकारी ने कहा कि खरीद प्रक्रिया से अबतक लगभग 11,89,237 किसान लाभान्वित हुए हैं और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के मद पर 23,663.63 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
हाल ही में बेमौसम बारिश के कारण कुछ प्रमुख उत्पादक राज्यों में गेहूं की फसल प्रभावित हुई थी और केंद्र ने पांच राज्यों – मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में गेहूं की खरीद के लिए गुणवत्ता मानदंडों में ढील दी है। भारतीय खाद्य निगम (FCI) राष्ट्रीय नोडल एजेंसी है जो राज्य एजेंसियों के साथ मिलकर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद करती है। खरीद न केवल किसानों के हितों की रक्षा के लिए की जाती है बल्कि विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लिए उपयोग किए जाने वाले बफर स्टॉक को बनाए रखने के लिए भी की जाती है।
पिछले साल गेहूं खरीद गिरकर कई साल के निचले स्तर 1.879 करोड़ टन पर पहुंच गई थी, जिसके कारण सबकी नजर खरीद पर है।
गेहूं का निर्यात पहले से ही प्रतिबंधित है, साथ ही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का दबाव भी नहीं है। साथ ही इस बार पिछले साल की तुलना में गेहूं का रकबा भी ज्यादा है। कारोबारियों ने कहा कि इन वजहों से घरेलू आपूर्ति के लिए अतिरिक्त गेहूं मिल सकेगा और वित्त वर्ष 23 की तुलना में केंद्रीय पूल में अतिरिक्त गेहूं खरीद सुनिश्चित हो सकेगी।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि मध्य प्रदेश में राज्य सरकार को 70 से 80 लाख टन गेहूं खरीद की उम्मीद है, जबकि पहले का लक्ष्य 100 लाख टन था। वहीं हरियाणा से आ रही खबरों के मुताबिक राज्य सरकार को अब गेहूं खरीद 65 से 70 लाख टन रहने की उम्मीद है, जबकि पहले 85 लाख टन खरीद का अनुमान लगाया गया था।
राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘मध्य प्रदेश में बेहतर गुणवत्ता के गेहूं की कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य की तुलना में ज्यादा है। इसकी वजह से किसान अपने उत्पाद खरीद केंद्र तक नहीं ला रहे हैं, जबकि गेहूं की कटाई का काम जारी है।’
उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह के मध्य तक गेहूं की रोजाना की आवक करीब 2 से 2.5 लाख टन थी, जबकि औसत आवक 5 से 6 लाख टन होती है।
अधिकारी ने कहा, ‘लेकिन पिछले 2 दिन में आवक बढ़ी है और यह 4 से 4.5 लाख टन रही है। हमें उम्मीद है कि 70 से 80 लाख टन खरीद का संशोधित लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा।’
सोमवार तक मध्य प्रदेश सरकार ने करीब 40 लाख टन गेहूं किसानों से खरीद था, जबकि पूरे वित्त वर्ष 23 के दौरान महज 46 लाख टन खरीद हुई थी।
अधिकारी ने कहा, ‘हमारे पोर्टल पर 15 लाख से ज्यादा किसान सरकारी एजेंसियों को गेहूं बेचने के लिए पंजीकृत हैं। इनमें से करीब 4.3 लाख (करीब 29 प्रतिशत) किसानों ने पहले ही राज्य की एजेंसियों को गेहूं बेच दिया है। इसका मतलब यह है कि बड़े पैमाने पर किसानों को अभी गेहूं बेचना है।’
जहां तक कीमत का सवाल है, 2,125 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी की तुलना में मध्य प्रदेश में गेहूं का भाव गुणवत्ता के हिसाब से 2,000 से 2,500 रुपये प्रति क्विंटल है। वहीं हरियाणा में इसकी कीमत 2,125 से 2,200 रुपये क्विंटल है। कुल मिलाकर व्यापार और बाजार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि अगर गेहूं की आधिकारिक खरीद 250 से 280 लाख टन के बीच रहती है और ओपनिंग स्टॉक 85 लाख टन रहता है तो गेहूं की उपलब्धता पिछले साल की तुलना में बहुत ज्यादा रहेगी और यह सार्वजनिक वितरण प्रणाली को चलाने के लिए पर्याप्त होगा।